Saturday, June 23, 2018

भाभी संग प्यार भरी चुदाई


हैलो फ्रेंड्स, मैं अमन कपूर… मैं नॉएडा की एक मल्टीनेशनल कम्पनी में काम करता हूँ. मैं बहुत स्मार्ट दिखता हूँ, बहुत सभ्यता से विनम्रता से बोलने वाला बन्दा हूँ. अन्तर्वासना पर पहली बार अपनी कहानी लेकर आया हूँ. यह कहानी मेरी और सोनिया भाभी की चुदाई की कहानी है. सोनिया भाभी हमारे पड़ोस में रहती हैं. उनका कातिलाना फिगर 36-30-36 का है… भाभी जब ठुमक कर चलती हैं तो पापा कसम क्या माल लगती हैं… बस पूछो ही मत!  
सोनिया भाभी हमारे साथ वाले घर में रहती हैं. उनके घर में वो, भैया मतलब उनके पति और उनका 2 साल का एक लड़का रहता है. भैया हमारे दूर के रिश्ते में आते हैं. तो उनके घर आना जाना लगा रहता है. मैं और भाभी बहुत बातें करते हैं और मुझे उनसे बातें करना बहुत अच्छा लगता था.
फिर ऐसे ही कुछ ही दिनों में हम अच्छे दोस्त बन गए और हर तरह की बातें करने लगे थे.
धीरे धीरे मेरा उनमें इंटरेस्ट बढ़ने लगा और मेरे मन में उन्हें प्यार करने की इच्छा जागने लगी. एक दिन जब मैं उनके घर गया तो वो अपने बच्चे को दूध पिला रही थीं, मुझे देख कर उन्होंने दुपट्टे से अपना स्तन छुपा लिया और मुझे बैठने के लिए बोला.
मैं बैठ गया, उन्होंने मुझसे पूछा- चाय लोगे या कॉफ़ी या फिर आप भी दूध पियोगे?
भाभी ये कह कर अश्लीलता से हंसने लगीं.
लेकिन भाभी की नंगी चुची देख मेरी घंटी बज गई
मैं पहले 2 मिनट तक तो चुप रहा और स्माइल करता रहा फिर मेरे मुँह से भी निकल गया- पिलाना है तो दूध ही पिला दो.
यह सुनकर भाभी फिर जोर जोर से हंसने लगीं.
मैं उन्हें देखता ही रह गया, हंसते हुए वो क़यामत लग रही थीं. वो अभी नहा कर ही बाहर निकली थीं, उनके बाल भी गीले थे… उस वजह से ऊपर से उनका सूट भी गीला हो चुका था. देखते ही देखते उन्होंने अपना दुपट्टा हटा लिया और उनका बूब मुझे दिखने लगा.
उनका बेबी सो चुका था, उन्होंने मुझसे बोला- ये तो सो गया, तुमको पीना है तो आ जाओ.
यह सुनकर मेरे आंखों में स्माइल आ गई और मैंने पूछा- सच्ची?
वो बोलीं- मुच्ची!
उन्होंने अपने बेबी को एक तरफ लिटाते हुए एक फ्लाइंग किस मेरी तरफ़ उड़ा दी. मैं मंत्रमुग्ध होकर उनकी आंखों में डूबा हुआ उनकी तरफ बढ़ता चला गया.
उनके करीब हुआ तो भाभी ने मेरे गालों पे हाथ फिराया और मुझे खींचते हुए अपनी गोदी में लिटा लिया. देखते ही देखते मैंने उनके पिंक निप्पल को चूमना शुरू कर दिया था. भाभी बड़े प्यार से मेरे बालों पर हाथ चलाते हुए अपना दूध मुझे चुसाने लगी थीं.
पता ही नहीं चला कि कब हम दोनों पर कामवासना सवार हो गई… मैं उनके गोरे गोरे मम्मों को दबाने लगा था और एक एक करके दोनों मम्मों के गुलाबी निपल्स को चूसने और काटने लग गया था.
जब भी मैं उनके चूचुकों को काटता तो वो मेरे बालों को कस कर पकड़ लेतीं.
कुछ ही देर मैं भाभी के मम्मों का मीठा दूध मेरे गले को तर करने लगा, मैं दबा दबा कर भाभी के मम्मों का रस निचोड़ने में लगा हुआ था.
भाभी की मादक आहें और कामुक कराहें मेरे लंड को खड़ा किए जा रही थीं. मेरा लंड मेरी पैन्ट में फूल गया था. मैंने उनकी आँखों में देखते हुए लंड की तरफ इशारा किया तो भाभी ने मेरे लंड पर अपना हाथ रख दिया और वे मेरी पैन्ट के ऊपर से ही मेरे लंड को मसलने लगीं.
कुछ ही देर में मेरा लंड अकड़ गया और उसका पैन्ट में रुक पाना दूभर सा लगने लगा. भाभी ने मेरी जीन्स का बटन खोल दिया और अपना हाथ मेरी जीन्स के अन्दर डाल कर मेरे अंडरवियर में हाथ डाल दिया. मेरा 6 इंच का गोरा पप्पू एकदम तन चुका था. भाभी का हाथ मेरे लंड पर लगते ही लंड ने मानो लोहे की रॉड का रूप धर लिया था.
भाभी मेरे लंड को पकड़ कर खेल रही थीं. हम दोनों दूसरी ही दुनिया में थे.
इधर मैं भाभी की चूचियां का अमृत पीने में मस्त था, उधर उन्होंने अपनी कमीज़ उतार दी थी. इसके बाद मुझे पता ही नहीं चला कि कब उन्होंने मेरी शर्ट के सारे बटनों को खोल दिया. मैं तो उनका दूध पीने में डूबा हुआ था.
फिर भाभी ने बड़े प्यार से मेरे गालों पर हाथ रख के मेरा चेहरा सीधा किया और रुई से भी कोमल अपने होंठ मेरे होंठों पर रख दिए. भाभी अपने होंठों से मुझे पागलों की तरह चाटने लगीं.
धीरे धीरे मैंने उन्हें नॉर्मल किया और अपनी जीभ उनके मुँह में डाल कर उन्हें चूसने लगा. अब मैंने अपनी जीभ से उनकी जीभ पकड़ ली. इसी तरह हम करीब दस मिनट तक एक दूसरे को चूमते रहे. जब हम दोनों ने होश संभाला तो वो ऊपर से बिल्कुल नंगी हो चुकी थीं और मेरी शर्ट खुली हुई थी और पैन्ट भी बस उतरने को थी.
उन्होंने पिंक कलर की लैगिंग्स पहनी हुई थी. हम दोनों सीधे हुए और उन्होंने मेरी बनियान और पैन्ट भी उतार दी, शर्ट मैंने खुद उतार दी थी. मैं उनके पेट पर चूमने लगा था.
वो बेड पर सीधी लेट गईं, उन्होंने पूरी तरह से खुद को मेरे हवाले कर दिया था. मैंने उनके पेट पर, नाभि पर बहुत चूमा. वो पागल सी हो गई थीं. मैंने धीरे धीरे उनकी लैगिंग्स उतार कर घुटनों के नीचे तक कर दी, भाभी ने एक मल्टी कलर पैंटी पहनी हुई थी, जिस पर पिंक कलर के लिप्स बने हुए थे. वो देख कर तो जैसे मेरे दिमाग़ में एक शरारत सूझी और मैं उनकी पैंटी पर बने हुए हर एक होंठ को अपने होंठों से चूमने लगा.
भाभी की पैन्टी के ऊपर से चुत को स्पर्श करना भाभी को अतिरेक उत्तेजना की नदी में बहाने का काम करने लगा.
हम दोनों की काम वासना बढ़ती ही गई और मैंने भाभी की पैंटी उतार कर उनकी चिकनी सी चुत पर अपनी जीभ लगा दी. भाभी की चुत की गंध मेरे लिए एक नई महक थी. पहले तो मुझे बड़ा अजीब सा लगा, एक बार तो मैं छोड़कर खड़ा होने लगा था.
फिर भाभी ने मेरे सिर को अपने हाथ से पकड़ कर वापिस अपनी जांघों के बीच में खींच लिया और नीचे से अपनी गांड उठा उठा कर अपनी चुत को मेरे होंठों से लगाते हुए कहने लगीं- प्लीज़ चूसो ना… आज तक तुम्हारे भैया ने नहीं चूसा… मैं चुत चुसवाने के लिए तड़प रही हूँ… ये सब करवाने के लिए मरी जा रही हूँ.
मैंने उनकी आँखों में देखा. इस वक्त वो मुझे वात्सायन की कोई काम वासना के विरह से पीड़ित… प्रणय की भीख मांगती हुई एक नायिका सी लगीं. मैंने भी उनकी चाह को पूरा सम्मान दिया और अपने होंठ फिर से उनकी चुत पर धर दिए. मुझे बड़ा अजीब लग रहा था, लेकिन मैंने पूरी हिम्मत करके उन्हें पूरी तरह से चूम कर, चाट कर और चूस कर चरम सीमा तक पहुंचा दिया.
भाभी अचानक से भलभला कर झड़ने लगीं और उन्होंने मेरे सर को अपनी जाँघों की कैची जैसी पकड़ से दबोच रखा था. मैं भी वासना के नशे में मदमस्त हो चुका था, सो भाभी की चुत के रस को चाटता गया और चूत के रस की आखिरी बूंद तक चाटता रहा.
अब भाभी झड़ने के कारण थक चुकी थीं. वे मुझे छोड़ कर दूसरी तरफ करवट बदल कर लंबी लंबी साँस ले रही थीं.
मैंने पूछा- आप ठीक तो हो भाभी?
उन्होंने उठ कर मुझे अपने सीने से लगा लिया और बोलीं- अमन, मेरे हनी, तुमने मुझे आज बहुत खुश किया है… मैं अब तुम्हारी ही हूँ.
भाभी ने मुझे काफ़ी देर तक टाईटली हग किए रखा और इतना कसे हुए थीं, ऐसा लग रहा था… जैसे वो मुझमें समाने की कोशिश कर रही हों.
फिर 5 मिनट बाद वो बोलीं- मुझे प्यास लगी है.
मैं उठकर पानी लेने गया. मैंने खुद भी पानी पिया और अपनी जान को भी पिलाया. इसके बाद मैं भाभी के बगल में लेट गया और एसी फुल कूल कर दिया.
थोड़ी ही देर में फिर से मेरा मूड बनने लगा. मैंने देखा तो भाभी मेरी छाती पे सिर रखे हुए आँखें बंद करके सो सी चुकी थीं. मैं खड़ा हुआ और उन्हें नीचे लिटा कर उनके ऊपर चढ़ गया. उनके माथे से लेकर पैरों तक उनके शरीर के हर एक पार्ट को बड़े रोमाँटिक तरीके से चूमा, भाभी बस कसमसाए जा रही थीं.
मैं उनके होंठों को चूमने लगा. हम दोनों एकदम नंगे एक दूसरे से लिपटे हुए प्यार की नदी में गोते लगा रहे थे. मेरा पप्पू खड़ा हो चुका था, उनकी चुत भी लपलपा रही थी. मैंने भाभी की चूत पर लंड के सुपारे को रगड़ रहा था… लेकिन मैं जानबूझ कर उनकी चुत में लंड डालना नहीं चाहता था. इस तरह उन्हें परेशान करने में मुझे मज़ा आ रहा था.
मैं अपने खड़े लंड को उनकी चुत पर लगा कर फिर से दूर कर लेता था. यह देखकर उनसे रहा नहीं गया और उन्होंने अपने हाथ से पकड़ कर मेरे लंड को अपनी चुत के मुँह पर लगाया और नीचे से कमर उठा कर खुद ही अपनी चुत में लंड अन्दर डलवा लिया.
मैंने भी उनकी इच्छा का सम्मान किया और पूरा लंड भाभी की चुत में पेल दिया. लंड लेते ही भाभी के मुँह से बहुत बड़ी उम्म्ह… अहह… हय… याह… आह… अया… निकली, जैसे उन्हें बहुत मजा आया हो.
फिर मैंने भी ज़्यादा ना तड़पाते हुए अपना काम शुरू कर दिया. मैंने जल्दी जल्दी दो तीन झटके मारे और लंड को चुत में ठीक से सैट कर दिया. अब नीचे लंड अपना काम कर रहा था और ऊपर मैं उनके गुलाबी होंठों को चूस रहा था.
उन्होंने अपनी टांगों से मेरी कमर को जकड़ लिया था और नीचे से अपनी गांड उठा उठा कर मेरे लंड के हरेक धक्के का पूरी तरह से जवाब दे रही थीं. कुछ ही देर में लंड ने चुत को रोने पर मजबूर कर दिया और जंग जीत ली. लेकिन चुत की कामना पर खुद लंड ने भी अपना पानी गिरा दिया और मैं भाभी के लिपट कर ढीला पड़ गया. दोनों एक साथ स्खलन तक पहुँचे और एक दूसरे से लिपट कर ही कब आँख लग गई, पता ही नहीं चला.
इसी तरह करीबन 15 मिनट तक चले इस चुदाई के मजे को मैं कभी नहीं भूल पाया. फिर जब आँख खुली तो शाम के 5 बज रहे थे. फिर से एक बार हम दोनों ने प्यार किया और ये वाला दौर तकरीबन 20 मिनट तक चला. इसके बाद मैं अपने घर आ गया.
फिर भाभी का मैसेज आया- आई लव यू अमन…
मैंने भी रिप्लाई कर दिया- लव यू भाभी…
आज उस घटना को 2 महीने हो गए हैं, अब तो हफ्ते में 1 या 2 बार हम दोनों को चुदाई का चान्स मिल ही जाता है. हर बार हम अलग अलग तरीके से चुदाई का खेल खेलते हैं. मेरी जान की कल्पनाएँ और फंतासियां, जो भैया पूरी नहीं कर पाए, वो मुझसे बता कर पूरी करने को कहती हैं… और मैं अपनी भाभी को चोद कर उनकी कामनाओं को पूरा कर देता हूँ.
मेरी अपनी फंतासियां भी बहुत सारी हैं, मैं उन्हें भी पूरा करने में लगा हुआ हूँ.
मजा आ रहा है जिन्दगी का…

Sunday, April 22, 2018

सब्जी वाले का फौलादी लंड

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गर्लफ्रेंड की कुंवारी सहेली की हॉट चुत की चुदाई

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सील पैक देसी लड़की को खण्डहर में चोदा

दोस्तो, मेरा नाम मोनू है. मैं 20 साल का जवान लड़का हूँ. मैं महाराष्ट्र के एक शहर का रहने वाला हूँ. मेरा कद करीब पांच फीट आठ इंच है, रंग सामान्य है ना ज्यादा गोरा और ना ज्यादा काला!

मेरे लंड की लंबाई करीब 6 इंच है और मैं मेरी कॉलोनी में बहुत फेमस हूँ, मैं सब से हंस बोल कर चलता हूँ, बड़ों को नमस्ते, हमउम्र लोगों को हाय हेलो बोलता हूँ तो सब मुझे पसंद करते हैं.यह तब की बात है, जब मैं पढ़ता था. मेरी दीवाली की छुटियाँ हो गई थीं. इसलिए मैं अपने पुश्तैनी गांव गया था. हमारे घर के साथ वाला घर भी हमारे कुनबे में से ही था. उन्हें हम ताई ताऊ बोलते थे. उस घर में ताई की रिश्तेदारी में से मेरी हमउम्र एक लड़की आई हुई थी. उस लड़की का नाम कंचन था. उन दिनों उसकी भी छुट्टियां चल रही थीं. वहां उसकी उम्र का मैं ही था, बाकी सब बड़े या छोटे थे. इसलिए ताई जी ने उसकी मुलाक़ात मेरे साथ करवा दी थी, वो सारा दिन मेरे साथ ही बिताती थी. मेरी उम्र का भी वहां औऱ कोई लड़का नहीं था, तो मेरा भी सारा टाइम कंचन के साथ ही बीत जाता था.एक दिन घर के सब लोग अपने काम से खेत चले गए. वे सब अब देर से ही वापस आने वाले थे, तो मेरे घर वालों ने मुझे उसके घर भेज दिया और घर की चाभी ताई जी के पास रख दी. लेकिन कुछ देर बाद मैंने घर जाने की जिद की और ताई जी से घर की चबी मांगी, तो ताई मुझे चाबी देने के लिए मान गई पर शरारत न करने की सलाह देकर चाभी दे दी.
उन्होंने कंचन को भी मेरे साथ भेज दिया
हमने कुछ देर झूले पर झूल कर समय बिताया, फिर हमने टीवी चला लिया और साथ बैठ कर टीवी देखने लगे. कुछ देर बाद उसे नींद आने लगी तो वो लेट गई. मैं भी उसके पास ही लेट गया. यूं ही थोड़ी देर साथ लेटे रहने से गलती से मेरा हाथ उसके एक स्तन को लग गया.
उसने आँख खोल कर तुरंत कहा- क्या कर रहे हो?
मैंने कहा- गलती से लग गया.
इस पर वो फिर से आँखें बंद करके लेट गई.
फिर मैंने सोचा ये तो गहरी नींद में सो रही थी, मेरा जरा सा हाथ क्या लगा इसने तो तुरंत ही आँखें खोल दीं, चक्कर क्या है, क्या इसके मन में कुछ चल रहा है. ये सब सोच कर मैंने सोचा कि चलो इसके साथ कोई शरारत करते हैं.
अब मैंने दरवाजा बंद किया और उसके पास आ कर उससे कहा- तुम एक जादू देखना चाहती हो?
उसने ‘हां’ कहा.
तो मैंने अपनी पैंट उतार दी और अपने लंड को बाहर निकाल कर उससे कहा- तुम इसे हिलाओ.
वो मेरा लंड देख कर शर्मा गई और मना करने लगी.
मैंने कहा- कुछ नहीं होगा. तुम करो तो!
उसने मेरा लंड पकड़ कर हिलाया, लेकिन वो मुठ मारने की तरह से नहीं हिला रही थी तो मैंने उसे मुठ मारने का तरीका कर के दिखाया और इस तरह से हिलाने को कहा. उसने ऐसा ही किया तो मेरा लंड खड़ा हो गया.
अब मुझे वो भी कुछ चुदासी सी समझ में आने लगी. इसके बाद मैंने उसे मोबाइल में एक सेक्स वीडियो दिखाया, जो मेरे दोस्त ने मुझे पहली बार दिखाया था और उसी वक्त मैंने इस वीडियो को अपने मोबाइल में ले लिया था.
उसने पहली बार कोई पोर्न देखा था, उसे ये सेक्स वीडियो देख कर पहले तो अजीब सा लगा, लेकिन बाद में वो भी उत्सुकता से देखने लगी. थोड़ी देर बाद वीडियो खत्म हुआ तो मैंने उससे कहा कि हम भी ये खेल खेल सकते हैं.
उसने पहले तो ना कहा, फिर मेरे मनाने के बाद मान लिया. मैंने उसके होंठों पर किस किया, फिर गले पर किया. वो गर्म होने लगी तो मैंने उसके कपड़े उतार दिए और उसके उभरते हुए मम्मे चूसे. फिर वो और गरम हो गई और मुझको अपने साथ चिपकाने लगी तो मैंने उसकी पेंटी उतारी, उसकी चुत पर अभी रोयें से ही आये थे और चूत के होंठ आपस में चिपके पड़े थे. मैंने उसकी चूत की दरार में ऊपर ऊपर ही अपनी उंगली फिराई, फिर मैं उसकी चुत चाटने लगा. वो मादकता से कामुकता भरी सिसकारियां भरने लगी. उसकी चूत पानी छोड़ने लगी थी.
अब मेरा लंड मुझे परेशान कर रहा था तो मैंने अपना लंड उससे मुँह में लेने को कहा. तो वो ना बोलने लगी.
मैंने कहा- इस वीडियो में भी यही दिखाया गया था… तुम मेरा लंड चूसो, तुमको भी मजा आएगा.. और फिर मैंने भी तो तुम्हारी चुत चाटी तो तुम्हें क़्या प्रॉब्लम हुई है? तुमको मजा आया ना? वो बोली- हाँ… मजा तो आया.
मैं बोला- तो अब तुम मुझे मजा दो!
शायद उसका मन तो था लेकिन थोड़ी झिझक थी, मेरे समझाने से उसने मेरी बात मान ली और झट से मेरा लंड अपने मुँह लेकर चूसने लगी. उसे चूसना नहीं आ रहा था लेकिन जैसे कैसे उसने चूसा और थोड़ी देर के बाद मैं उसके मुँह में झड़ गया तो उसने उल्टी कर दी.
वो कुछ नाराज सी हो गयी मुझसे और अपने घर जाने लगी.
मैंने उससे कहा- कंचन, हमने अभी अभी जो कुछ भी किया, ये बात किसी को भी मत बताना.
उसने हां कहा और वो घर चली गई.
उस क्रिया के बाद वो दिन भर मुझसे नहीं मिली.. तो दूसरे दिन मैं उसके घर चला गया.
जब मैं उससे मिला, तो उसने मुझसे कुछ बात नहीं की.. तो मैं वहीं बैठ गया.
थोड़ी देर बाद उसने मुझसे कहा- चलो, तुम्हारे घर चलते हैं.
मैं उसे अपने घर ले गया, रास्ते में वो कहने लगी कि कल मुझे अजीब सा लग रहा था.. लेकिन चलो आज फिर वैसा ही करते हैं.
मैं उसकी चाहत सुन कर मन ही मन में बहुत खुश हो गया. लेकिन आज मेरी छोटी चाची घर में थीं तो मैं खेलने के बहाने से उससे ऊपर वाले कमरे में ले गया, जहां हम सभी लोग सोते थे.
मैंने चाची से कहा- चाची, हमें परेशान नहीं करना, हम दोनों ऊपर कमरे में खेलने जा रहे हैं.
कमरे में आते ही मैंने दरवाजे की कुंडी लगा दी और उस देसी लड़की कंचन के सारे कपड़े एक एक करके उतार दिए और वो पूरी नंगी हो गई. उसका नंगा बदन देख कर मेरा लंड सलामी देने लगा, मैंने उसे मेरे कपड़े उतारें को कहा तो उसने मेरे कपड़े भी उतार दिए.
मैंने उसके होंठों पर होंठ रख कर चूसने लगा. मुझे बहुत मजा आ रहा था. मेरा एक हाथ उसकी गर्दन पर था और दूसरा हाथ उसके एक नंगे चूतड़ पर!
थोड़ी देर में सांस ना आने के कारण वो बेचैन हो गई और उसने अपने होंठ मुझसे छुड़वा लिये.
अब मैं उसके गोर गोरे गालों को चूमने लगा और अपने दोनों हाथों से उसके दोनों चूतड़ मसलने लगा.
मेरी इस हरकत से भी वो विचलित होने लगी, मुझे हटाने लगी तो मैंने उससे कहा- चल आज कुछ और ट्राय करते हैं.
कंचन ने हामी भर दी.
मैंने उससे कहा- आज हम एक साथ एक दूसरे को चूसेंगे. तुम मेरा लंड चूसो, मैं तुम्हारी चूत चाटता हूँ.
मैंने उसको नीचे लिटाया और खुद विपरीत दिशा में उसके मुंह में लंड देकर उसके नंगे बदन पर लेट गया. इस तरह से हम दोनों 69 अवस्था में लेट गए.
वो मेरा लंड चूसने लगी और मैं उसकी चूत से खेलने लगा.
पहले मैंने उसकी चूत को सूंघा तो उसमें से साबुन की खुश्बू आ रही थी. इसका मतलब वो पहले से ही अपनी चूत चटवाने की तैयारी करके आई थी. मैंने अपनी उंगली से उसकी चूत की दरार को कुरेदा और फिर चूत के दाने को जीभ से चाटने लगा. उसे मजा आ रहा था, वो अपने चूतड़ उछाल उछल कर चूत चुसाई का मजा ले रही थी.
मैं भी अपने चूतड़ों को हल्के हल्के ऊपर नीचे करके उस गाँव की लड़की का मुख चोदन कर रहा था.
कुछ देर ओरल सेक्स करने के बाद हम दोनों ही झड़ गए. इस बार उसने मेरा सारा माल गटक लिया और कहा कि इसका स्वाद अलग है, लेकिन अच्छा है. मैंने भी उसकी चूत को खूब चाटा, हम दोनों को खूब मजा आया.
काफी देर हो चुकी थी, चाची भी आ सकती थी तो फिर हम दोनों ने अपने कपड़े पहन लिए और एक दूसरे को किस किया.
मैंने उससे कहा कि मैं तुम्हें शाम को मिलूंगा.
फिर वो घर चली गई… मैं ऐसे ही नीचे आ गया.
लेकिन मेरे मुँह पर आसपास उसकी चूत का रस लगा था, वो छोटी चाची ने देख लिया.
चाची ने एकदम से पूछ लिया- ये तेरे मुंह पर क्या लगा है?
मैं थोड़ा घबरा गया फिर मैंने कहा कि पानी है.
तो चाची ने मुझे छोड़ दिया लेकिन उन्हें हम पर शक हो रहा था.
शाम को मैं कंचन से मिला और मैंने उसे ये सब बताया. अब चाची की मौजूदगी में हम घर में कुछ नहीं कर सकते थे. तो मैंने हमारे गांव के पास वाले किले को चुना, वहां शाम को कोई नहीं जाता था. घर से घूमने का बहाना करके मैं उसे वहीं ले गया. हम किले के आखिरी छोर पर गए, जहां कोई नहीं आता. वहां काफी हरी घास थी, वहीं मैंने उसे नंगी कर दिया.
पहले उस नंगी देसी लड़की ने मेरा लंड चूसा बाद में मैंने उसकी चूत चाटी. आज मैं उसकी चुदाई करने की सोच कर आया था.. इसलिए मैंने साथ में तेल का पाउच लाया था ताकि उसे चोदने में कोई परेशानी न हो.
फिर मैंने उसे कुतिया की तरह खड़ा दिया और अपने लंड पर तेल लगाकर उस लड़की की देसी चूत में लंड पेल दिया. उसे शुरू में थोड़ा दर्द हो रहा था क्योंकि उसकी पहली चुदाई हो रही थी. उसकी चीखें सारे किले में सुनाई दे रही थीं. पर मुझे कोई डर नहीं था क्योंकि किले पर हमारे अलावा और कोई नहीं था.
मैं निडर होकर उसकी चुदाई करने लगा. कुछ ही देर में वो सभी दर्द भूल गई थी क्योंकि मैं उसे लंड का प्यारा मज़ा जो दे रहा था. फिर मैं घास में लेट गया और उसे अपने ऊपर ले लिया. हमारी चुदाई फिर शुरू हो गई. इस तरह से वो जल्दी झड़ गई.. पर मेरा लंड अभी भी खड़ा था. उसकी चूत में लिसलिसा पानी हो जाने से मेरा लंड अब उसके चूत में आसानी से जा रहा था और उसकी कामुक सिसकारियां सुनकर मुझे बहुत मज़ा आ रहा                        था.
कुछ देर बाद मैं उसके ऊपर चढ़ गया और कभी उसको किस करते हुए, उसकी चुचियां चूसते हुए उसको चोदने लगा.कुछ मिनट बाद मैं झड़ने को हो गया था. मैंने झट से अपना लंड बाहर निकाल दिया और उसके शरीर पर मेरा माल छोड़ दिया. कुछ माल उसने चाट भी लिया औऱ बचा हुआ अपनी पैंटी से पोंछ लिया.
अब हमने जल्दी से कपड़े पहन लिए.. क्योंकि शाम होने को थी और हमें घर पहुँचना था. हम उस किले से जल्दी निकल आए.

पड़ोसी मर्द को पटा कर खेत में अपनी गरम चुत चुदाई

पड़ोसी मर्द को पटा कर खेत में अपनी गरम चुत चुदाई

नमस्कार दोस्तो, आज मैं आपको मेरी सच्ची गरम चुत चुदाई कहानी भेज रही हूँ, ये चुदाई खुले आसमान के नीचे खेत में हुई थी.
दोस्तो, मेरा वास्तविक नाम अनीता है, मैं 28 साल की देशी पढ़ी लिखी औरत हूँ. पर 8 साल पहले मेरी शादी एक छोटे गांव में अनपढ़ रवि के साथ हुई. रवि मुझसे 10 साल बड़ा है. यह बात उस समय की है, जब मेरी शादी को 2 साल हो चुके थे.
मेरी खेती में मोहन पड़ोसी है जो मेरे 4 साल छोटा है, पर दिखने में बड़ा सांड है. मैं थोड़ी पतली हूँ, एकदम बारीक कमर और मोटी गांड वाली परी हूँ, दिखने में बड़ी सेक्सी और कटीली माल लगती हूँ. मैं हमेशा सेक्सी साड़ी और लोकट गले और छोटी आस्तीन का ब्लाउज पहनती हूँ, जिस कारण मेरा पेट और नाभि और चिकने हाथ हमेशा रंडी के जैसे खुले रहते हैं. ऊपर से पतले कपड़े के ब्लाऊज से तो मेरे मम्मों के निप्पल जो एकदम काले अंगूर की तरह हैं, ऊपर से ही साफ दिखते हैं. इसलिए जो भी मुझे देखता है, उसका लंड खड़ा हो जाता है.
मैं रोज ऐसा ही मेकअप करके मोहन के खेत में काम पर जाती हूँ और मोहन को पटाने की कोशिश करती हूँ. पर मोहन मेरे पर ध्यान ही नहीं देता था, शायद वो लोक लाज के कारण डरता था.
मैं रोज ही निराश होकर घर लौट आती थी. पर आज मेरा सपना पूरा होने की घड़ी आ गई थी, आज मोहन के बड़े भाई की शादी थी और मैं अपने पति रवि के साथ शादी में जाने वाली थी. इसलिए आज मैंने नेट की नई साड़ी और कट ब्लाउज पहना था, जिस कारण मैं पूरी छिनाल लग रही थी.
बारात वाला ट्रक पूरी तरह से भरा हुआ था, उसमें आदमियों की संख्या के हिसाब से जगह बहुत कम थी. इसलिए मैं ट्रक के फाल्के की बाजू में बैठी थी. फाल्के के ऊपर मेरे पति रवि और मोहन चिपक के बैठे थे. मैं दोनों के पांव के बीच में फिट हो गई थी. इस वक्त मुझे मालूम था कि मेरा पल्लू सरका हुआ था और मेरे मम्मे, निप्पल ऊपर से ही एकदम साफ दिख रहे थे.. तब भी मैंने अपने पल्लू को ठीक करने की कोशिश नहीं की.
रास्ता थोड़ा खराब था, इसलिए जब भी ट्रक किसी गड्डे में आने से हिलता तो मेरे मम्मों के काले निप्पल तक ब्लाऊज के बाहर निकल आते थे. पर दोस्तो इससे भी कुछ फायदा नहीं हो रहा था.. क्योंकि मोहन कुछ भी रिस्पॉन्स नहीं दे रहा था.
जैसे तैसे इस हालत में ही हम सभी शादी वाले गांव पहुंच गए. फिर शादी में पूरा दिन निकल गया, पर मोहन ने मेरी गांड को हाथ तक नहीं लगाया. जबकि मैं उसके आस पास ही रही.
दोस्तो अब वक्त आ गया था मेरे सपने पूरे होने का.. रात हो गई थी और शादी भी हो चुकी थी. हम सभी वापस अपने गांव जाने के लिए निकल पड़े थे.
इस बार मेरे पति रवि मोहन से दूर बैठे थे और मोहन फाल्के पे बैठा था. मैं जानबूझ कर मोहन के पांव के पास बैठ गई थी और ट्रक के चलने का इंतजार कर रही थी.
कुछ देर बाद ट्रक चल पड़ा था, रात के दस बजे थे.. हमारे गांव तक 250 किलोमीटर सफर लंबा था, इसमें पूरी रात लगने वाली थी. कुछ ही देर में ट्रक में पूरा अंधेरा हो गया था, किसी को कुछ नहीं दिख रहा था. चूंकि सब लोग थके हुए थे, सो सोने लगे थे.
मैं अंधेरे का फायदा उठा कर मोहन के दोनों पांवों के बीच में घुस गई. मोहन फाल्के पे था और मैं नीचे बैठी थी इसलिए मेरा सर सीधा मोहन की जाँघों में घुस गया था. मैं भी सोने का नाटक कर रही थी और मुझे पूरा यकीन था कि अब मोहन कुछ भी नहीं कर सकता. मैंने अपना मुँह सीधा मोहन के लंड पे रख दिया और सोने का नाटक करके अपने गाल से उसके मस्त लंड को दबाने लगी. मोहन को लगा कि मैं नींद में हूँ, इसलिए गलती से मेरा सर उसके लंड पर आ गया होगा.
पर मेरा गाल का स्पर्श होते ही मोहन सोया हुआ लंड धीरे धीरे खड़ा होने लगा. मैं भी खुद को रोक नहीं रही थी. मैंने सीधा मेरे होंठ मोहन के गधे जैसे बड़े लंड पे रख दिए. मुझे पेंट के ऊपर से मोहन के लंड का फूलना पता चल रहा था. आज मैंने जाना कि मोहन का लंड मेरे पति रवि से दो गुना बड़ा था.
अब मोहन भी खुद को रोक नहीं सकता था. मेरे होंठ के स्पर्श ने मोहन के डर को भगा दिया था. मोहन ने अंधेरे का फायदा उठा कर धीरे-धीरे पांव निकाल कर सीधा मेरी जाँघों पर रख दिया और साड़ी के ऊपर से अंगूठा चलाते हुए धीरे-धीरे मेरी चुत पर रगड़ने लगा.
अब मैं समझ गई थी कि मोहन भी गरम हो गया है. मैं इस मौके को छोड़ने वाली नहीं थी. अब मैंने सीधा मोहन का पांव पकड़ कर सीधा अपनी चुत पे दबा दिया. इससे मोहन समझ गया था कि मैं सब जानबूझ कर कर रही हूँ.
मोहन ने बिंदास साड़ी के साथ पूरा अंगूठा मेरी चुत में डाल दिया.
“हूँ हू हूँ हू हूँ हू..” क्या बताऊं दोस्तो, मैं बहुत गरम हो गई थी, मुझे बहुत मजा आ रहा था. फिर मैंने अपनी साड़ी का पल्लू मोहन की जाँघों पे डाल दिया ताकि किसी को पता ना चले और मैंने सीधा मोहन की चैन खोलकर उसका गधे जैसा नौ इंच का लंबा लंड बाहर निकाल लिया.
ट्रक में पूरा अंधेरा हुआ था, किसी को कुछ पता नहीं चल रहा था. मैं लंड को हिला रही थी.
अब मोहन ने बेधड़क मेरी चुत से अंगूठा निकाल कर मेरी नाभि पर लगा दिया और नाभि के छेद को रगड़ने लगा. मुझे बहुत मजा आने लगा था.
मोहन ने सीधा मेरा सर अपने लंड पे दबा दिया. मुझे बहुत डर भी लग रहा था कि कोई देख ना ले, पर उसका गधे जैसा बड़ा लंड को देखकर मैं खुद को रोक नहीं सकती थी. मैंने सीधा पल्लू के अन्दर सर डाल के लंड का टोपा मुँह में ले लिया. मोहन को अपने लंड पर मेरे मुँह के अहसास ने गरम कर दिया और उसने जोर से मेरा सर दबा कर अपना पूरा लंड मेरे मुँह में पेल दिया. उसका मूसल लंड मेरे गले तक घुस गया था और मैं जोर से लंड चूसने लगी.
मोहन भी जोर से मेरा मुँह चोदने लगा था और मैं भी मोहन को पूरा साथ दे रही थी. मैं उसका पूरा लंड अपने मुँह में अन्दर बाहर कर रही थी. मैंने ब्लाउज के बटन खोलकर मोहन का पांव पकड़ कर अपने मम्मों पर टिका दिया, वो अपने पांवों से मेरे मम्मों को रगड़ने लगा. मैं जोर जोर से लंड चूस रही थी, बड़ा मजा आ रहा था.
तभी मोहन का संयम छूट गया और लंड ने जोर की पिचकारी मेरी मुँह में मार दी.
“अह अह अह… अअह..” उसका पूरा माल पेट में चला गया था. लंड झड़ जाने से मोहन थोड़ा ठंडा हो गया था, पर मैं तो एकदम गरम हुई पड़ी थी. मेरी चुत में जबरदस्त खुजली हो रही थी.
मोहन ने मुँह से लंड निकाल कर मेरे गाल से रगड़ कर साफ किया और पेंट में डाल कर चैन बंद कर ली.
अब उसने अपने पांव से मुझे धकेल दिया. उसकी इस हरकत पर मुझे बहुत गुस्सा आ गया, पर मैं कुछ कर नहीं सकती थी. मैं भी अपनी साड़ी ठीक करके घर पहुंचने का इंतजार कर रही थी
अब सुबह के 6 बजे थे और ट्रक गांव में आ गया था. दिन निकल आया था और मोहन मुझसे आँखें नहीं मिला रहा था, वो शर्मा रहा था. पर मैंने सब की नजर बचा के मुस्कुरा के मोहन को आँख मार दी, मोहन डरता हुआ हल्के से मुस्कुराता हुआ निकल गया.
मैं भी पति रवि के साथ घर चली गई थी. दूसरे दिन सुबह दस बजे रवि दूसरे खेत में काम पर गया था और मैं आज छिनाल जैसी नई साड़ी और कट ब्लाउज पहन कर मोहन के खेत की ओर निकल पड़ी. मोहन का गधे जैसा मोटा लंड मेरी नजर से हट ही नहीं रहा था.
मुझे बहुत खुशी हो रही थी कि आज उसका गधे जैसा लंड मेरी कोमल चुत में घुसकर हाहाकार मचा देगा क्योंकि इतना बड़ा लंड मेरी चुत ने पहले कभी नहीं देखा था. मेरे पति रवि का लंड तो बिल्कुल किसी दस साल के बच्चे के जैसा लुल्लीनुमा है. उसका टुन्नू सा लंड मेरी प्यासी जवान काली झांटों में छिपी हुई चुत का लाल दाना देखते ही फेल हो जाता है. साले का पानी निकल जाता है और मुझे तड़पता छोड़ देता है. पर आज मेरी भूख मिटने वाली थी, ऐसे सपने देखते हुए मैं खेत में आ गई.
मोहन खेत में मेरा रास्ता ही देख रहा था. मेरे सर पर रोटी की टोकरी थी. मोहन ने जैसे मुझे देखा, खुद झटके से मेरे सर से टोकरी को नीचे रख दिया और मुझे बांहों में लेकर चुम्बन लेने लगा. वो दोनों हाथ पीछे डाल के मेरी गांड के गोले किसी आवारा जानवर की तरह दबाने लगा.
मैं डर गई थी और मैंने धीरे से कहा- मोहन जी, रूको ना किसी ने देख लिया तो बहुत लोचा होगा.
इस बात से मोहन को गुस्सा आ गया और मोहन बोला- चुप कर छिनाल.. साली रात में पूरे भरे ट्रक भर में लोगों के बीच में मेरा लंड चूसते हुए तुझे डर नहीं लगा.. और इधर खाली खेत में डरने का नाटक कर रही है रंडी… यहां मेरे अलावा तुझे चोदने कोई भी नहीं आएगा साली.. आज से तू मेरी रखैल है समझी.
इस तरह की बातों के दौरान ही मोहन ने मेरी साड़ी को खोलकर फेंक दिया. अब मैं सिर्फ ब्लाऊज लहंगे पर मोहन की बांहों में थी.
मैं हंसते हुए बोली- मोहन जी, मैं तो कबसे आपकी रखैल बनने के लिए तड़प रही हूँ.
बस इतने में मोहन ने मुझे पीछे धकेल दिया, मैं जमीन पर गिर गई और मेरा लहंगा पूरा ऊपर हो गया. मोहन मेरी सांवली जाँघों और काली चड्डी को देख कर गर्म हो गया. मोहन भी पूरा नंगा हो कर नीचे बैठ कर कुत्ते जैसे मेरी पेंटी को खींचने लगा.
अगले ही पल मैं मोहन के सामने नंगी हो गई थी. मेरी बड़ी बड़ी काली झांटों में छिपी हुई चुत सामने थी.
मोहन ने झांटों में उंगली डाल कर चुत का लाल दाना सहलाया और दो उंगली से पकड़ कर जोर से दबा दिया.
जैसे ही मेरी चुत का दाना खींचा, वैसे ही मेरे मुँह से आवाज निकल पड़ी- उन्म्म… मोहन जी प्यार से प्लीज!
पर मोहन मेरी बात सुनने के मूड में नहीं था, उसने मेरी टांगों को फैला कर चुत में मुँह डाल दिया और कुत्ते के जैसे मेरी चुत पर टूट पड़ा. मुझे बहुत मजा आ रहा था. मैं एक हाथ से मोहन का सर चुत पे दबा रही थी और उसी वक्त दूसरे हाथ से अपने ब्लाउज के बटन खोल कर अपनी चूचियों को आजाद कर दिया. मैं उत्तेजित हो गई थी और अपनी उंगली से अपनी काली निप्पल दबाने लगी.
मेरे मुँह से आवाज निकल रही थी- आह.. मोहन जी.. आप कितना अच्छे से चुत चाटते हो.. और चाटो.. अंदर तक जीभ पेल दो.. आह..
इससे मोहन का हौसला बढ़ने लगा था. मोहन अपनी पूरी जुबान से मेरी चुत को लगभग चोदने सा लगा था. इसी के साथ वो अपना एक हाथ ऊपर करके बारी बारी से दोनों मम्मों को भी दबाने लगा.
मुझे इस वक्त बहुत मजा आ रहा था. मैं गांड उठा कर उसका साथ दे रही थी और बोल रही थी- आह.. मोहन जी पूरी जुबान घुसेड़ दो ना प्लीज.. आज अपनी इस रखैल को पूरी रंडी बना दो जान..
अब मोहन सीधा मेरे ऊपर चढ़ गया और उसने अपना लंबा लंड मेरे मुँह में ठोक दिया. वो 69 की पोजीशन में होकर मेरी चुत चाटने लगा और बड़ा लंड मेरे गले से भी आगे जाने की सोच रहा था.
मोहन की बड़ी बड़ी काली झांटें मेरी नाक में घुस रही थीं, तो कुछ गाल पर चुभ रही थीं. मुझे बहुत मजा आ रहा था. मेरे मुँह से कामुक आवाज निकल रही थीं. कुछ ही देर में मोहन ने मेरी चुत को पूरी तरह से गीली कर दिया था और मैंने लंड को लसलसा बना दिया था. फिर मोहन ने सीधा होकर मुझे सीधा लेटा दिया और मेरे जाँघों को खोल कर अपने लंड पे थूक लगा दिया. उसने कुछ थूक मेरी चुत पर भी टपका दिया.
मोहन मुझसे बोला- साली रंडी, आज मैं तुझे चोद कर मेरे बच्चे की माँ बना दूँगा.
मैं हंसते हुए बोली- मेरे मालिक मैं कब से माँ बनने के लिए तड़प रही हूँ. आज अपना पठानी लंड पेल कर मेरी कुंवारी चुत को औरत का दर्जा दे दो मोहन जी.
मोहन हंसते हुए बोला- हां छिनाल, आज तुझे चोद के मेरी रखैल बना लूँगा और मेरे बच्चे की माँ भी बना दूँगा.
मोहन ने लंड को चुत की फांकों पर रगड़ा और एक जोर का झटका मार दिया. एक ही झटके में उसके लंड का टोपा मेरी चुत में घुस गया.
मैं जोर से चिल्लाने लगी- उई माँ मर गई मालिक.. धीरे धीरे करो प्लीज नहीं तो मेरी चुत फट जाएगी.
पर मोहन ने मेरी बात पर ध्यान नहीं दिया और दोनों हाथों से मेरे मम्मों को पकड़ा और बेदर्दी से मींजने लगा. इसी के साथ मोहन ने जब दूसरा झटका लगाया, तब उसका पूरा लंड मेरी चुत में घुस गया.
मैं जोर से चिल्लाने लगी- मालिक धीरे धीरे करो.. प्लीज मर गई अह अह अह.. अअह अअह..
मोहन मेरी बात पर बिल्कुल भी ध्यान नहीं दे रहा था और जोर जोर से लंड को झटका लगा कर मेरी चुत फाड़ने में लगा हुआ था.
आठ दस धक्कों के बाद मुझे भी बहुत मजा आने लगा था और मैं भी गांड उठा उठाके उसका पूरा लंड अन्दर बाहर करने लगी थी.
अब मैं बोले जा रही थी- आह.. मोहन जी आज अपनी रखैल की चुत की वाट लगा दो.
मेरी बात सुन कर मोहन का हौसला बढ़ रहा था और जोर से झटके देकर पूरा मजा देने लगा. मोहन मेरे मम्मों पर झुक कर मेरे शहद से भरे होंठों पे अपने होंठ रख कर चूसने लगा. उसने मेरे मुँह में थूक गिरा दिया और अपनी जुबान घुसेड़ कर अंदर खलबली मचाने लगा. उसकी जीभ घुसी तो मेरे मुँह में थी लेकिन मुझे नीचे चुत में बहुत मजा आ रहा था. नीचे वो अपने गधे जैसे मोटे काले पठानी लंड से मेरी चुत चोद रहा था और ऊपर मेरा मुँह को उसकी जुबान चोदने लगी थी.
मैंने मोहन को बांहों में लिया था और मोहन मुझे बाजारू रंडी के जैसे चोद रहा था. मैं पूरा मजा ले रही थी, मेरी चुत पूरी लाल हो गई थी.
इसी तरह मोहन ने बिना रूके 15 मिनट तक हचक कर चोदा और जोर की गरमागरम लंड की पिचकारी मेरी चुत में मार दी. उसकी गरम धार मेरी चुत में घुसते ही मेरी 8 साल की प्यासी चुत एकदम से तृप्त हो गई थी.
मैंने मोहन को टांगों में जकड़ लिया था. दो मिनट के बाद मोहन ने लंड को निकाल लिया. अब उसने मेरे चूचों पर बैठ कर लंड होंठों पे रख दिया और बोला- ले अनीता रंडी, लंड चाट कर जल्दी साफ कर साली… मुझे घर जाना है.
मैं अपनी कुतिया जैसी जुबान निकाल कर उसका लंड मजे चाटने लगी. फिर मोहन ने प्यार से गाल पर थप्पड़ मार के कहा- सुन री रंडी… आज से तू मेरी रखैल है समझी.
मैंने भी सर हिला कर ‘हां’ कर दिया. फिर मोहन कपड़े पहन कर काम पे निकल गया और मैं भी कपड़े पहन कर घर चली गई.