Sunday, April 22, 2018
गर्लफ्रेंड की कुंवारी सहेली की हॉट चुत की चुदाई
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सील पैक देसी लड़की को खण्डहर में चोदा
दोस्तो, मेरा नाम मोनू है. मैं 20 साल का जवान लड़का हूँ. मैं महाराष्ट्र के एक शहर का रहने वाला हूँ. मेरा कद करीब पांच फीट आठ इंच है, रंग सामान्य है ना ज्यादा गोरा और ना ज्यादा काला!
मेरे लंड की लंबाई करीब 6 इंच है और मैं मेरी कॉलोनी में बहुत फेमस हूँ, मैं सब से हंस बोल कर चलता हूँ, बड़ों को नमस्ते, हमउम्र लोगों को हाय हेलो बोलता हूँ तो सब मुझे पसंद करते हैं.यह तब की बात है, जब मैं पढ़ता था. मेरी दीवाली की छुटियाँ हो गई थीं. इसलिए मैं अपने पुश्तैनी गांव गया था. हमारे घर के साथ वाला घर भी हमारे कुनबे में से ही था. उन्हें हम ताई ताऊ बोलते थे. उस घर में ताई की रिश्तेदारी में से मेरी हमउम्र एक लड़की आई हुई थी. उस लड़की का नाम कंचन था. उन दिनों उसकी भी छुट्टियां चल रही थीं. वहां उसकी उम्र का मैं ही था, बाकी सब बड़े या छोटे थे. इसलिए ताई जी ने उसकी मुलाक़ात मेरे साथ करवा दी थी, वो सारा दिन मेरे साथ ही बिताती थी. मेरी उम्र का भी वहां औऱ कोई लड़का नहीं था, तो मेरा भी सारा टाइम कंचन के साथ ही बीत जाता था.एक दिन घर के सब लोग अपने काम से खेत चले गए. वे सब अब देर से ही वापस आने वाले थे, तो मेरे घर वालों ने मुझे उसके घर भेज दिया और घर की चाभी ताई जी के पास रख दी. लेकिन कुछ देर बाद मैंने घर जाने की जिद की और ताई जी से घर की चबी मांगी, तो ताई मुझे चाबी देने के लिए मान गई पर शरारत न करने की सलाह देकर चाभी दे दी.
उन्होंने कंचन को भी मेरे साथ भेज दिया
हमने कुछ देर झूले पर झूल कर समय बिताया, फिर हमने टीवी चला लिया और साथ बैठ कर टीवी देखने लगे. कुछ देर बाद उसे नींद आने लगी तो वो लेट गई. मैं भी उसके पास ही लेट गया. यूं ही थोड़ी देर साथ लेटे रहने से गलती से मेरा हाथ उसके एक स्तन को लग गया.
उसने आँख खोल कर तुरंत कहा- क्या कर रहे हो?
मैंने कहा- गलती से लग गया.
इस पर वो फिर से आँखें बंद करके लेट गई.
उसने आँख खोल कर तुरंत कहा- क्या कर रहे हो?
मैंने कहा- गलती से लग गया.
इस पर वो फिर से आँखें बंद करके लेट गई.
फिर मैंने सोचा ये तो गहरी नींद में सो रही थी, मेरा जरा सा हाथ क्या लगा इसने तो तुरंत ही आँखें खोल दीं, चक्कर क्या है, क्या इसके मन में कुछ चल रहा है. ये सब सोच कर मैंने सोचा कि चलो इसके साथ कोई शरारत करते हैं.
अब मैंने दरवाजा बंद किया और उसके पास आ कर उससे कहा- तुम एक जादू देखना चाहती हो?
उसने ‘हां’ कहा.
तो मैंने अपनी पैंट उतार दी और अपने लंड को बाहर निकाल कर उससे कहा- तुम इसे हिलाओ.
वो मेरा लंड देख कर शर्मा गई और मना करने लगी.
मैंने कहा- कुछ नहीं होगा. तुम करो तो!
उसने ‘हां’ कहा.
तो मैंने अपनी पैंट उतार दी और अपने लंड को बाहर निकाल कर उससे कहा- तुम इसे हिलाओ.
वो मेरा लंड देख कर शर्मा गई और मना करने लगी.
मैंने कहा- कुछ नहीं होगा. तुम करो तो!
उसने मेरा लंड पकड़ कर हिलाया, लेकिन वो मुठ मारने की तरह से नहीं हिला रही थी तो मैंने उसे मुठ मारने का तरीका कर के दिखाया और इस तरह से हिलाने को कहा. उसने ऐसा ही किया तो मेरा लंड खड़ा हो गया.
अब मुझे वो भी कुछ चुदासी सी समझ में आने लगी. इसके बाद मैंने उसे मोबाइल में एक सेक्स वीडियो दिखाया, जो मेरे दोस्त ने मुझे पहली बार दिखाया था और उसी वक्त मैंने इस वीडियो को अपने मोबाइल में ले लिया था.
अब मुझे वो भी कुछ चुदासी सी समझ में आने लगी. इसके बाद मैंने उसे मोबाइल में एक सेक्स वीडियो दिखाया, जो मेरे दोस्त ने मुझे पहली बार दिखाया था और उसी वक्त मैंने इस वीडियो को अपने मोबाइल में ले लिया था.
उसने पहली बार कोई पोर्न देखा था, उसे ये सेक्स वीडियो देख कर पहले तो अजीब सा लगा, लेकिन बाद में वो भी उत्सुकता से देखने लगी. थोड़ी देर बाद वीडियो खत्म हुआ तो मैंने उससे कहा कि हम भी ये खेल खेल सकते हैं.
उसने पहले तो ना कहा, फिर मेरे मनाने के बाद मान लिया. मैंने उसके होंठों पर किस किया, फिर गले पर किया. वो गर्म होने लगी तो मैंने उसके कपड़े उतार दिए और उसके उभरते हुए मम्मे चूसे. फिर वो और गरम हो गई और मुझको अपने साथ चिपकाने लगी तो मैंने उसकी पेंटी उतारी, उसकी चुत पर अभी रोयें से ही आये थे और चूत के होंठ आपस में चिपके पड़े थे. मैंने उसकी चूत की दरार में ऊपर ऊपर ही अपनी उंगली फिराई, फिर मैं उसकी चुत चाटने लगा. वो मादकता से कामुकता भरी सिसकारियां भरने लगी. उसकी चूत पानी छोड़ने लगी थी.
अब मेरा लंड मुझे परेशान कर रहा था तो मैंने अपना लंड उससे मुँह में लेने को कहा. तो वो ना बोलने लगी.
मैंने कहा- इस वीडियो में भी यही दिखाया गया था… तुम मेरा लंड चूसो, तुमको भी मजा आएगा.. और फिर मैंने भी तो तुम्हारी चुत चाटी तो तुम्हें क़्या प्रॉब्लम हुई है? तुमको मजा आया ना? वो बोली- हाँ… मजा तो आया.
मैं बोला- तो अब तुम मुझे मजा दो!
मैंने कहा- इस वीडियो में भी यही दिखाया गया था… तुम मेरा लंड चूसो, तुमको भी मजा आएगा.. और फिर मैंने भी तो तुम्हारी चुत चाटी तो तुम्हें क़्या प्रॉब्लम हुई है? तुमको मजा आया ना? वो बोली- हाँ… मजा तो आया.
मैं बोला- तो अब तुम मुझे मजा दो!
शायद उसका मन तो था लेकिन थोड़ी झिझक थी, मेरे समझाने से उसने मेरी बात मान ली और झट से मेरा लंड अपने मुँह लेकर चूसने लगी. उसे चूसना नहीं आ रहा था लेकिन जैसे कैसे उसने चूसा और थोड़ी देर के बाद मैं उसके मुँह में झड़ गया तो उसने उल्टी कर दी.
वो कुछ नाराज सी हो गयी मुझसे और अपने घर जाने लगी.
मैंने उससे कहा- कंचन, हमने अभी अभी जो कुछ भी किया, ये बात किसी को भी मत बताना.
उसने हां कहा और वो घर चली गई.
वो कुछ नाराज सी हो गयी मुझसे और अपने घर जाने लगी.
मैंने उससे कहा- कंचन, हमने अभी अभी जो कुछ भी किया, ये बात किसी को भी मत बताना.
उसने हां कहा और वो घर चली गई.
उस क्रिया के बाद वो दिन भर मुझसे नहीं मिली.. तो दूसरे दिन मैं उसके घर चला गया.
जब मैं उससे मिला, तो उसने मुझसे कुछ बात नहीं की.. तो मैं वहीं बैठ गया.
जब मैं उससे मिला, तो उसने मुझसे कुछ बात नहीं की.. तो मैं वहीं बैठ गया.
थोड़ी देर बाद उसने मुझसे कहा- चलो, तुम्हारे घर चलते हैं.
मैं उसे अपने घर ले गया, रास्ते में वो कहने लगी कि कल मुझे अजीब सा लग रहा था.. लेकिन चलो आज फिर वैसा ही करते हैं.
मैं उसे अपने घर ले गया, रास्ते में वो कहने लगी कि कल मुझे अजीब सा लग रहा था.. लेकिन चलो आज फिर वैसा ही करते हैं.
मैं उसकी चाहत सुन कर मन ही मन में बहुत खुश हो गया. लेकिन आज मेरी छोटी चाची घर में थीं तो मैं खेलने के बहाने से उससे ऊपर वाले कमरे में ले गया, जहां हम सभी लोग सोते थे.
मैंने चाची से कहा- चाची, हमें परेशान नहीं करना, हम दोनों ऊपर कमरे में खेलने जा रहे हैं.
मैंने चाची से कहा- चाची, हमें परेशान नहीं करना, हम दोनों ऊपर कमरे में खेलने जा रहे हैं.
कमरे में आते ही मैंने दरवाजे की कुंडी लगा दी और उस देसी लड़की कंचन के सारे कपड़े एक एक करके उतार दिए और वो पूरी नंगी हो गई. उसका नंगा बदन देख कर मेरा लंड सलामी देने लगा, मैंने उसे मेरे कपड़े उतारें को कहा तो उसने मेरे कपड़े भी उतार दिए.
मैंने उसके होंठों पर होंठ रख कर चूसने लगा. मुझे बहुत मजा आ रहा था. मेरा एक हाथ उसकी गर्दन पर था और दूसरा हाथ उसके एक नंगे चूतड़ पर!
थोड़ी देर में सांस ना आने के कारण वो बेचैन हो गई और उसने अपने होंठ मुझसे छुड़वा लिये.
अब मैं उसके गोर गोरे गालों को चूमने लगा और अपने दोनों हाथों से उसके दोनों चूतड़ मसलने लगा.
थोड़ी देर में सांस ना आने के कारण वो बेचैन हो गई और उसने अपने होंठ मुझसे छुड़वा लिये.
अब मैं उसके गोर गोरे गालों को चूमने लगा और अपने दोनों हाथों से उसके दोनों चूतड़ मसलने लगा.
मेरी इस हरकत से भी वो विचलित होने लगी, मुझे हटाने लगी तो मैंने उससे कहा- चल आज कुछ और ट्राय करते हैं.
कंचन ने हामी भर दी.
कंचन ने हामी भर दी.
मैंने उससे कहा- आज हम एक साथ एक दूसरे को चूसेंगे. तुम मेरा लंड चूसो, मैं तुम्हारी चूत चाटता हूँ.
मैंने उसको नीचे लिटाया और खुद विपरीत दिशा में उसके मुंह में लंड देकर उसके नंगे बदन पर लेट गया. इस तरह से हम दोनों 69 अवस्था में लेट गए.
वो मेरा लंड चूसने लगी और मैं उसकी चूत से खेलने लगा.
मैंने उसको नीचे लिटाया और खुद विपरीत दिशा में उसके मुंह में लंड देकर उसके नंगे बदन पर लेट गया. इस तरह से हम दोनों 69 अवस्था में लेट गए.
वो मेरा लंड चूसने लगी और मैं उसकी चूत से खेलने लगा.
पहले मैंने उसकी चूत को सूंघा तो उसमें से साबुन की खुश्बू आ रही थी. इसका मतलब वो पहले से ही अपनी चूत चटवाने की तैयारी करके आई थी. मैंने अपनी उंगली से उसकी चूत की दरार को कुरेदा और फिर चूत के दाने को जीभ से चाटने लगा. उसे मजा आ रहा था, वो अपने चूतड़ उछाल उछल कर चूत चुसाई का मजा ले रही थी.
मैं भी अपने चूतड़ों को हल्के हल्के ऊपर नीचे करके उस गाँव की लड़की का मुख चोदन कर रहा था.
कुछ देर ओरल सेक्स करने के बाद हम दोनों ही झड़ गए. इस बार उसने मेरा सारा माल गटक लिया और कहा कि इसका स्वाद अलग है, लेकिन अच्छा है. मैंने भी उसकी चूत को खूब चाटा, हम दोनों को खूब मजा आया.
काफी देर हो चुकी थी, चाची भी आ सकती थी तो फिर हम दोनों ने अपने कपड़े पहन लिए और एक दूसरे को किस किया.
मैंने उससे कहा कि मैं तुम्हें शाम को मिलूंगा.
फिर वो घर चली गई… मैं ऐसे ही नीचे आ गया.
लेकिन मेरे मुँह पर आसपास उसकी चूत का रस लगा था, वो छोटी चाची ने देख लिया.
चाची ने एकदम से पूछ लिया- ये तेरे मुंह पर क्या लगा है?
मैं थोड़ा घबरा गया फिर मैंने कहा कि पानी है.
चाची ने एकदम से पूछ लिया- ये तेरे मुंह पर क्या लगा है?
मैं थोड़ा घबरा गया फिर मैंने कहा कि पानी है.
तो चाची ने मुझे छोड़ दिया लेकिन उन्हें हम पर शक हो रहा था.
शाम को मैं कंचन से मिला और मैंने उसे ये सब बताया. अब चाची की मौजूदगी में हम घर में कुछ नहीं कर सकते थे. तो मैंने हमारे गांव के पास वाले किले को चुना, वहां शाम को कोई नहीं जाता था. घर से घूमने का बहाना करके मैं उसे वहीं ले गया. हम किले के आखिरी छोर पर गए, जहां कोई नहीं आता. वहां काफी हरी घास थी, वहीं मैंने उसे नंगी कर दिया.
पहले उस नंगी देसी लड़की ने मेरा लंड चूसा बाद में मैंने उसकी चूत चाटी. आज मैं उसकी चुदाई करने की सोच कर आया था.. इसलिए मैंने साथ में तेल का पाउच लाया था ताकि उसे चोदने में कोई परेशानी न हो.
फिर मैंने उसे कुतिया की तरह खड़ा दिया और अपने लंड पर तेल लगाकर उस लड़की की देसी चूत में लंड पेल दिया. उसे शुरू में थोड़ा दर्द हो रहा था क्योंकि उसकी पहली चुदाई हो रही थी. उसकी चीखें सारे किले में सुनाई दे रही थीं. पर मुझे कोई डर नहीं था क्योंकि किले पर हमारे अलावा और कोई नहीं था.
मैं निडर होकर उसकी चुदाई करने लगा. कुछ ही देर में वो सभी दर्द भूल गई थी क्योंकि मैं उसे लंड का प्यारा मज़ा जो दे रहा था. फिर मैं घास में लेट गया और उसे अपने ऊपर ले लिया. हमारी चुदाई फिर शुरू हो गई. इस तरह से वो जल्दी झड़ गई.. पर मेरा लंड अभी भी खड़ा था. उसकी चूत में लिसलिसा पानी हो जाने से मेरा लंड अब उसके चूत में आसानी से जा रहा था और उसकी कामुक सिसकारियां सुनकर मुझे बहुत मज़ा आ रहा था.
कुछ देर बाद मैं उसके ऊपर चढ़ गया और कभी उसको किस करते हुए, उसकी चुचियां चूसते हुए उसको चोदने लगा.कुछ मिनट बाद मैं झड़ने को हो गया था. मैंने झट से अपना लंड बाहर निकाल दिया और उसके शरीर पर मेरा माल छोड़ दिया. कुछ माल उसने चाट भी लिया औऱ बचा हुआ अपनी पैंटी से पोंछ लिया.
अब हमने जल्दी से कपड़े पहन लिए.. क्योंकि शाम होने को थी और हमें घर पहुँचना था. हम उस किले से जल्दी निकल आए.
पड़ोसी मर्द को पटा कर खेत में अपनी गरम चुत चुदाई
पड़ोसी मर्द को पटा कर खेत में अपनी गरम चुत चुदाई
नमस्कार दोस्तो, आज मैं आपको मेरी सच्ची गरम चुत चुदाई कहानी भेज रही हूँ, ये चुदाई खुले आसमान के नीचे खेत में हुई थी.
दोस्तो, मेरा वास्तविक नाम अनीता है, मैं 28 साल की देशी पढ़ी लिखी औरत हूँ. पर 8 साल पहले मेरी शादी एक छोटे गांव में अनपढ़ रवि के साथ हुई. रवि मुझसे 10 साल बड़ा है. यह बात उस समय की है, जब मेरी शादी को 2 साल हो चुके थे.
मेरी खेती में मोहन पड़ोसी है जो मेरे 4 साल छोटा है, पर दिखने में बड़ा सांड है. मैं थोड़ी पतली हूँ, एकदम बारीक कमर और मोटी गांड वाली परी हूँ, दिखने में बड़ी सेक्सी और कटीली माल लगती हूँ. मैं हमेशा सेक्सी साड़ी और लोकट गले और छोटी आस्तीन का ब्लाउज पहनती हूँ, जिस कारण मेरा पेट और नाभि और चिकने हाथ हमेशा रंडी के जैसे खुले रहते हैं. ऊपर से पतले कपड़े के ब्लाऊज से तो मेरे मम्मों के निप्पल जो एकदम काले अंगूर की तरह हैं, ऊपर से ही साफ दिखते हैं. इसलिए जो भी मुझे देखता है, उसका लंड खड़ा हो जाता है.
मैं रोज ऐसा ही मेकअप करके मोहन के खेत में काम पर जाती हूँ और मोहन को पटाने की कोशिश करती हूँ. पर मोहन मेरे पर ध्यान ही नहीं देता था, शायद वो लोक लाज के कारण डरता था.
मैं रोज ही निराश होकर घर लौट आती थी. पर आज मेरा सपना पूरा होने की घड़ी आ गई थी, आज मोहन के बड़े भाई की शादी थी और मैं अपने पति रवि के साथ शादी में जाने वाली थी. इसलिए आज मैंने नेट की नई साड़ी और कट ब्लाउज पहना था, जिस कारण मैं पूरी छिनाल लग रही थी.
बारात वाला ट्रक पूरी तरह से भरा हुआ था, उसमें आदमियों की संख्या के हिसाब से जगह बहुत कम थी. इसलिए मैं ट्रक के फाल्के की बाजू में बैठी थी. फाल्के के ऊपर मेरे पति रवि और मोहन चिपक के बैठे थे. मैं दोनों के पांव के बीच में फिट हो गई थी. इस वक्त मुझे मालूम था कि मेरा पल्लू सरका हुआ था और मेरे मम्मे, निप्पल ऊपर से ही एकदम साफ दिख रहे थे.. तब भी मैंने अपने पल्लू को ठीक करने की कोशिश नहीं की.
रास्ता थोड़ा खराब था, इसलिए जब भी ट्रक किसी गड्डे में आने से हिलता तो मेरे मम्मों के काले निप्पल तक ब्लाऊज के बाहर निकल आते थे. पर दोस्तो इससे भी कुछ फायदा नहीं हो रहा था.. क्योंकि मोहन कुछ भी रिस्पॉन्स नहीं दे रहा था.
जैसे तैसे इस हालत में ही हम सभी शादी वाले गांव पहुंच गए. फिर शादी में पूरा दिन निकल गया, पर मोहन ने मेरी गांड को हाथ तक नहीं लगाया. जबकि मैं उसके आस पास ही रही.
दोस्तो अब वक्त आ गया था मेरे सपने पूरे होने का.. रात हो गई थी और शादी भी हो चुकी थी. हम सभी वापस अपने गांव जाने के लिए निकल पड़े थे.
इस बार मेरे पति रवि मोहन से दूर बैठे थे और मोहन फाल्के पे बैठा था. मैं जानबूझ कर मोहन के पांव के पास बैठ गई थी और ट्रक के चलने का इंतजार कर रही थी.
कुछ देर बाद ट्रक चल पड़ा था, रात के दस बजे थे.. हमारे गांव तक 250 किलोमीटर सफर लंबा था, इसमें पूरी रात लगने वाली थी. कुछ ही देर में ट्रक में पूरा अंधेरा हो गया था, किसी को कुछ नहीं दिख रहा था. चूंकि सब लोग थके हुए थे, सो सोने लगे थे.
मैं अंधेरे का फायदा उठा कर मोहन के दोनों पांवों के बीच में घुस गई. मोहन फाल्के पे था और मैं नीचे बैठी थी इसलिए मेरा सर सीधा मोहन की जाँघों में घुस गया था. मैं भी सोने का नाटक कर रही थी और मुझे पूरा यकीन था कि अब मोहन कुछ भी नहीं कर सकता. मैंने अपना मुँह सीधा मोहन के लंड पे रख दिया और सोने का नाटक करके अपने गाल से उसके मस्त लंड को दबाने लगी. मोहन को लगा कि मैं नींद में हूँ, इसलिए गलती से मेरा सर उसके लंड पर आ गया होगा.
पर मेरा गाल का स्पर्श होते ही मोहन सोया हुआ लंड धीरे धीरे खड़ा होने लगा. मैं भी खुद को रोक नहीं रही थी. मैंने सीधा मेरे होंठ मोहन के गधे जैसे बड़े लंड पे रख दिए. मुझे पेंट के ऊपर से मोहन के लंड का फूलना पता चल रहा था. आज मैंने जाना कि मोहन का लंड मेरे पति रवि से दो गुना बड़ा था.
अब मोहन भी खुद को रोक नहीं सकता था. मेरे होंठ के स्पर्श ने मोहन के डर को भगा दिया था. मोहन ने अंधेरे का फायदा उठा कर धीरे-धीरे पांव निकाल कर सीधा मेरी जाँघों पर रख दिया और साड़ी के ऊपर से अंगूठा चलाते हुए धीरे-धीरे मेरी चुत पर रगड़ने लगा.
अब मैं समझ गई थी कि मोहन भी गरम हो गया है. मैं इस मौके को छोड़ने वाली नहीं थी. अब मैंने सीधा मोहन का पांव पकड़ कर सीधा अपनी चुत पे दबा दिया. इससे मोहन समझ गया था कि मैं सब जानबूझ कर कर रही हूँ.
मोहन ने बिंदास साड़ी के साथ पूरा अंगूठा मेरी चुत में डाल दिया.
“हूँ हू हूँ हू हूँ हू..” क्या बताऊं दोस्तो, मैं बहुत गरम हो गई थी, मुझे बहुत मजा आ रहा था. फिर मैंने अपनी साड़ी का पल्लू मोहन की जाँघों पे डाल दिया ताकि किसी को पता ना चले और मैंने सीधा मोहन की चैन खोलकर उसका गधे जैसा नौ इंच का लंबा लंड बाहर निकाल लिया.
“हूँ हू हूँ हू हूँ हू..” क्या बताऊं दोस्तो, मैं बहुत गरम हो गई थी, मुझे बहुत मजा आ रहा था. फिर मैंने अपनी साड़ी का पल्लू मोहन की जाँघों पे डाल दिया ताकि किसी को पता ना चले और मैंने सीधा मोहन की चैन खोलकर उसका गधे जैसा नौ इंच का लंबा लंड बाहर निकाल लिया.
ट्रक में पूरा अंधेरा हुआ था, किसी को कुछ पता नहीं चल रहा था. मैं लंड को हिला रही थी.
अब मोहन ने बेधड़क मेरी चुत से अंगूठा निकाल कर मेरी नाभि पर लगा दिया और नाभि के छेद को रगड़ने लगा. मुझे बहुत मजा आने लगा था.
मोहन ने सीधा मेरा सर अपने लंड पे दबा दिया. मुझे बहुत डर भी लग रहा था कि कोई देख ना ले, पर उसका गधे जैसा बड़ा लंड को देखकर मैं खुद को रोक नहीं सकती थी. मैंने सीधा पल्लू के अन्दर सर डाल के लंड का टोपा मुँह में ले लिया. मोहन को अपने लंड पर मेरे मुँह के अहसास ने गरम कर दिया और उसने जोर से मेरा सर दबा कर अपना पूरा लंड मेरे मुँह में पेल दिया. उसका मूसल लंड मेरे गले तक घुस गया था और मैं जोर से लंड चूसने लगी.
मोहन भी जोर से मेरा मुँह चोदने लगा था और मैं भी मोहन को पूरा साथ दे रही थी. मैं उसका पूरा लंड अपने मुँह में अन्दर बाहर कर रही थी. मैंने ब्लाउज के बटन खोलकर मोहन का पांव पकड़ कर अपने मम्मों पर टिका दिया, वो अपने पांवों से मेरे मम्मों को रगड़ने लगा. मैं जोर जोर से लंड चूस रही थी, बड़ा मजा आ रहा था.
तभी मोहन का संयम छूट गया और लंड ने जोर की पिचकारी मेरी मुँह में मार दी.
“अह अह अह… अअह..” उसका पूरा माल पेट में चला गया था. लंड झड़ जाने से मोहन थोड़ा ठंडा हो गया था, पर मैं तो एकदम गरम हुई पड़ी थी. मेरी चुत में जबरदस्त खुजली हो रही थी.
मोहन ने मुँह से लंड निकाल कर मेरे गाल से रगड़ कर साफ किया और पेंट में डाल कर चैन बंद कर ली.
अब उसने अपने पांव से मुझे धकेल दिया. उसकी इस हरकत पर मुझे बहुत गुस्सा आ गया, पर मैं कुछ कर नहीं सकती थी. मैं भी अपनी साड़ी ठीक करके घर पहुंचने का इंतजार कर रही थी
मोहन ने मुँह से लंड निकाल कर मेरे गाल से रगड़ कर साफ किया और पेंट में डाल कर चैन बंद कर ली.
अब उसने अपने पांव से मुझे धकेल दिया. उसकी इस हरकत पर मुझे बहुत गुस्सा आ गया, पर मैं कुछ कर नहीं सकती थी. मैं भी अपनी साड़ी ठीक करके घर पहुंचने का इंतजार कर रही थी
अब सुबह के 6 बजे थे और ट्रक गांव में आ गया था. दिन निकल आया था और मोहन मुझसे आँखें नहीं मिला रहा था, वो शर्मा रहा था. पर मैंने सब की नजर बचा के मुस्कुरा के मोहन को आँख मार दी, मोहन डरता हुआ हल्के से मुस्कुराता हुआ निकल गया.
मैं भी पति रवि के साथ घर चली गई थी. दूसरे दिन सुबह दस बजे रवि दूसरे खेत में काम पर गया था और मैं आज छिनाल जैसी नई साड़ी और कट ब्लाउज पहन कर मोहन के खेत की ओर निकल पड़ी. मोहन का गधे जैसा मोटा लंड मेरी नजर से हट ही नहीं रहा था.
मुझे बहुत खुशी हो रही थी कि आज उसका गधे जैसा लंड मेरी कोमल चुत में घुसकर हाहाकार मचा देगा क्योंकि इतना बड़ा लंड मेरी चुत ने पहले कभी नहीं देखा था. मेरे पति रवि का लंड तो बिल्कुल किसी दस साल के बच्चे के जैसा लुल्लीनुमा है. उसका टुन्नू सा लंड मेरी प्यासी जवान काली झांटों में छिपी हुई चुत का लाल दाना देखते ही फेल हो जाता है. साले का पानी निकल जाता है और मुझे तड़पता छोड़ देता है. पर आज मेरी भूख मिटने वाली थी, ऐसे सपने देखते हुए मैं खेत में आ गई.
मोहन खेत में मेरा रास्ता ही देख रहा था. मेरे सर पर रोटी की टोकरी थी. मोहन ने जैसे मुझे देखा, खुद झटके से मेरे सर से टोकरी को नीचे रख दिया और मुझे बांहों में लेकर चुम्बन लेने लगा. वो दोनों हाथ पीछे डाल के मेरी गांड के गोले किसी आवारा जानवर की तरह दबाने लगा.
मैं डर गई थी और मैंने धीरे से कहा- मोहन जी, रूको ना किसी ने देख लिया तो बहुत लोचा होगा.
इस बात से मोहन को गुस्सा आ गया और मोहन बोला- चुप कर छिनाल.. साली रात में पूरे भरे ट्रक भर में लोगों के बीच में मेरा लंड चूसते हुए तुझे डर नहीं लगा.. और इधर खाली खेत में डरने का नाटक कर रही है रंडी… यहां मेरे अलावा तुझे चोदने कोई भी नहीं आएगा साली.. आज से तू मेरी रखैल है समझी.
इस तरह की बातों के दौरान ही मोहन ने मेरी साड़ी को खोलकर फेंक दिया. अब मैं सिर्फ ब्लाऊज लहंगे पर मोहन की बांहों में थी.
मैं हंसते हुए बोली- मोहन जी, मैं तो कबसे आपकी रखैल बनने के लिए तड़प रही हूँ.
मैं हंसते हुए बोली- मोहन जी, मैं तो कबसे आपकी रखैल बनने के लिए तड़प रही हूँ.
बस इतने में मोहन ने मुझे पीछे धकेल दिया, मैं जमीन पर गिर गई और मेरा लहंगा पूरा ऊपर हो गया. मोहन मेरी सांवली जाँघों और काली चड्डी को देख कर गर्म हो गया. मोहन भी पूरा नंगा हो कर नीचे बैठ कर कुत्ते जैसे मेरी पेंटी को खींचने लगा.
अगले ही पल मैं मोहन के सामने नंगी हो गई थी. मेरी बड़ी बड़ी काली झांटों में छिपी हुई चुत सामने थी.
मोहन ने झांटों में उंगली डाल कर चुत का लाल दाना सहलाया और दो उंगली से पकड़ कर जोर से दबा दिया.
जैसे ही मेरी चुत का दाना खींचा, वैसे ही मेरे मुँह से आवाज निकल पड़ी- उन्म्म… मोहन जी प्यार से प्लीज!
पर मोहन मेरी बात सुनने के मूड में नहीं था, उसने मेरी टांगों को फैला कर चुत में मुँह डाल दिया और कुत्ते के जैसे मेरी चुत पर टूट पड़ा. मुझे बहुत मजा आ रहा था. मैं एक हाथ से मोहन का सर चुत पे दबा रही थी और उसी वक्त दूसरे हाथ से अपने ब्लाउज के बटन खोल कर अपनी चूचियों को आजाद कर दिया. मैं उत्तेजित हो गई थी और अपनी उंगली से अपनी काली निप्पल दबाने लगी.
मेरे मुँह से आवाज निकल रही थी- आह.. मोहन जी.. आप कितना अच्छे से चुत चाटते हो.. और चाटो.. अंदर तक जीभ पेल दो.. आह..
इससे मोहन का हौसला बढ़ने लगा था. मोहन अपनी पूरी जुबान से मेरी चुत को लगभग चोदने सा लगा था. इसी के साथ वो अपना एक हाथ ऊपर करके बारी बारी से दोनों मम्मों को भी दबाने लगा.
इससे मोहन का हौसला बढ़ने लगा था. मोहन अपनी पूरी जुबान से मेरी चुत को लगभग चोदने सा लगा था. इसी के साथ वो अपना एक हाथ ऊपर करके बारी बारी से दोनों मम्मों को भी दबाने लगा.
मुझे इस वक्त बहुत मजा आ रहा था. मैं गांड उठा कर उसका साथ दे रही थी और बोल रही थी- आह.. मोहन जी पूरी जुबान घुसेड़ दो ना प्लीज.. आज अपनी इस रखैल को पूरी रंडी बना दो जान..
अब मोहन सीधा मेरे ऊपर चढ़ गया और उसने अपना लंबा लंड मेरे मुँह में ठोक दिया. वो 69 की पोजीशन में होकर मेरी चुत चाटने लगा और बड़ा लंड मेरे गले से भी आगे जाने की सोच रहा था.
मोहन की बड़ी बड़ी काली झांटें मेरी नाक में घुस रही थीं, तो कुछ गाल पर चुभ रही थीं. मुझे बहुत मजा आ रहा था. मेरे मुँह से कामुक आवाज निकल रही थीं. कुछ ही देर में मोहन ने मेरी चुत को पूरी तरह से गीली कर दिया था और मैंने लंड को लसलसा बना दिया था. फिर मोहन ने सीधा होकर मुझे सीधा लेटा दिया और मेरे जाँघों को खोल कर अपने लंड पे थूक लगा दिया. उसने कुछ थूक मेरी चुत पर भी टपका दिया.
मोहन मुझसे बोला- साली रंडी, आज मैं तुझे चोद कर मेरे बच्चे की माँ बना दूँगा.
मैं हंसते हुए बोली- मेरे मालिक मैं कब से माँ बनने के लिए तड़प रही हूँ. आज अपना पठानी लंड पेल कर मेरी कुंवारी चुत को औरत का दर्जा दे दो मोहन जी.
मोहन हंसते हुए बोला- हां छिनाल, आज तुझे चोद के मेरी रखैल बना लूँगा और मेरे बच्चे की माँ भी बना दूँगा.
मैं हंसते हुए बोली- मेरे मालिक मैं कब से माँ बनने के लिए तड़प रही हूँ. आज अपना पठानी लंड पेल कर मेरी कुंवारी चुत को औरत का दर्जा दे दो मोहन जी.
मोहन हंसते हुए बोला- हां छिनाल, आज तुझे चोद के मेरी रखैल बना लूँगा और मेरे बच्चे की माँ भी बना दूँगा.
मोहन ने लंड को चुत की फांकों पर रगड़ा और एक जोर का झटका मार दिया. एक ही झटके में उसके लंड का टोपा मेरी चुत में घुस गया.
मैं जोर से चिल्लाने लगी- उई माँ मर गई मालिक.. धीरे धीरे करो प्लीज नहीं तो मेरी चुत फट जाएगी.
मैं जोर से चिल्लाने लगी- उई माँ मर गई मालिक.. धीरे धीरे करो प्लीज नहीं तो मेरी चुत फट जाएगी.
पर मोहन ने मेरी बात पर ध्यान नहीं दिया और दोनों हाथों से मेरे मम्मों को पकड़ा और बेदर्दी से मींजने लगा. इसी के साथ मोहन ने जब दूसरा झटका लगाया, तब उसका पूरा लंड मेरी चुत में घुस गया.
मैं जोर से चिल्लाने लगी- मालिक धीरे धीरे करो.. प्लीज मर गई अह अह अह.. अअह अअह..
मैं जोर से चिल्लाने लगी- मालिक धीरे धीरे करो.. प्लीज मर गई अह अह अह.. अअह अअह..
मोहन मेरी बात पर बिल्कुल भी ध्यान नहीं दे रहा था और जोर जोर से लंड को झटका लगा कर मेरी चुत फाड़ने में लगा हुआ था.
आठ दस धक्कों के बाद मुझे भी बहुत मजा आने लगा था और मैं भी गांड उठा उठाके उसका पूरा लंड अन्दर बाहर करने लगी थी.
अब मैं बोले जा रही थी- आह.. मोहन जी आज अपनी रखैल की चुत की वाट लगा दो.
अब मैं बोले जा रही थी- आह.. मोहन जी आज अपनी रखैल की चुत की वाट लगा दो.
मेरी बात सुन कर मोहन का हौसला बढ़ रहा था और जोर से झटके देकर पूरा मजा देने लगा. मोहन मेरे मम्मों पर झुक कर मेरे शहद से भरे होंठों पे अपने होंठ रख कर चूसने लगा. उसने मेरे मुँह में थूक गिरा दिया और अपनी जुबान घुसेड़ कर अंदर खलबली मचाने लगा. उसकी जीभ घुसी तो मेरे मुँह में थी लेकिन मुझे नीचे चुत में बहुत मजा आ रहा था. नीचे वो अपने गधे जैसे मोटे काले पठानी लंड से मेरी चुत चोद रहा था और ऊपर मेरा मुँह को उसकी जुबान चोदने लगी थी.
मैंने मोहन को बांहों में लिया था और मोहन मुझे बाजारू रंडी के जैसे चोद रहा था. मैं पूरा मजा ले रही थी, मेरी चुत पूरी लाल हो गई थी.
इसी तरह मोहन ने बिना रूके 15 मिनट तक हचक कर चोदा और जोर की गरमागरम लंड की पिचकारी मेरी चुत में मार दी. उसकी गरम धार मेरी चुत में घुसते ही मेरी 8 साल की प्यासी चुत एकदम से तृप्त हो गई थी.
मैंने मोहन को टांगों में जकड़ लिया था. दो मिनट के बाद मोहन ने लंड को निकाल लिया. अब उसने मेरे चूचों पर बैठ कर लंड होंठों पे रख दिया और बोला- ले अनीता रंडी, लंड चाट कर जल्दी साफ कर साली… मुझे घर जाना है.
मैं अपनी कुतिया जैसी जुबान निकाल कर उसका लंड मजे चाटने लगी. फिर मोहन ने प्यार से गाल पर थप्पड़ मार के कहा- सुन री रंडी… आज से तू मेरी रखैल है समझी.
मैंने भी सर हिला कर ‘हां’ कर दिया. फिर मोहन कपड़े पहन कर काम पे निकल गया और मैं भी कपड़े पहन कर घर चली गई.
मैंने भी सर हिला कर ‘हां’ कर दिया. फिर मोहन कपड़े पहन कर काम पे निकल गया और मैं भी कपड़े पहन कर घर चली गई.
Saturday, April 21, 2018
संध्या आंटी की चुदाई
संध्या आंटी की चुदाई
दोस्तों मेरा नाम रोहित है ये स्टोरी मेरी और मेरे घर में रेंट से रहने वाली संध्या आंटी के बाड़े मैं है| मैं दिल्ली का रहने वाला हूँ| अब मैं स्टोरी चालू करते है ये बात २ साल पहले की है जब मैं इंजीनियरिंग के १ ईयर में था हमारा नया ही घर हुआ था और हमारे घर मई २ फ्लोर्स थे| निचे वाले फ्लोर पर मैं और मेरी फॅमिली रहते थे और ऊपर वाले फ्लोर पर किराये पर एक फॅमिली रहने को आये थी| उस फॅमिली में ४ लोग थे संध्या आंटी उनके पति एक लड़की और संध्या आंटी की सासु माँ | संध्या आंटी हाउसवाइफ है और उनके पति का कपड़ो का दुकान है और उनकी लड़की ४ में है और एक स्कूल में पढ़ती है|मैं आप को संध्या आंटी के बाड़े मैं बताता हु| वो २९ साल की थी जब ये हुआ और मेरी २१ साल थी|
संध्या बहुत ही खुबसूरत दिखती है और वो बहुत हॉट उसकी फिगर तो ऐसा है की मई आप को क्या बताऊ|जब मैंने उसे पहली बार हमारे घर आई थी तब देखा तो मैं पागल ही हो गया था| वो हमारे घर में बैठी थी और मैं उसके लेफ्ट साइड में बैठा था तब संध्या ने रेड कलर की साड़ी पहनी थी और ब्लैक कलर का ब्लाउज था| और जब हवा आती थी तब उसकी साड़ी का पल्लू ऊपर उठ रहा था और मेरे सामने संध्या के मोटे मोटे चूची दिखाई देते थे ब्लाउज में| मुझे उसी दिन संध्या से प्यार हो गया मई उस रात सिर्फ उसी के बारे में सोच रहा था की इसे कैसे पटाना है सेक्स के लिए| कुछ दिन ऐसे ही चले गए मैं सिर्फ संध्या की देखता था और सोचता था की कैसे पटाऊ इसे| तभी एक दिन संध्या आंटी के घर में कोई नहीं था और उनका टीवी का डिश कुछ प्रॉब्लम दे रहा था तभी उन्होंने मुझे ऊपर बुलाया हमारे घर में भी टीवी को वो ही डिश था इसलिए मुझे सब पता था|मई ऊपर गया और देखा तो संध्या आंटी ने एक वाइट कलर की नाईटी पहनी थी|
और वो नाईटी थोड़ी ढीली थी और मुझे साफ दिख रहा था की सुने अन्दर कुछ भी नहीं पहना था सिर्फ नाईटी थी| उनके निप्पल साफ दिख रहे थे ऊपर से ही| मैं संध्या को देखते डिश टीवी चेक कर रहा था| तभी संध्या ने मुझे नोटिस किया की मैं उसके चूची की तरफ घुर के देख रहा हु तभी संध्या ने मुझे अचानक एक हलकी सी स्माइल दी और पूछा तुम कुछ कोल्ड द्रिंग पीना चाहते हो तो मैंने भी हाँ बोला और वो किचेन में चली गई और मैंने डिश टीवी चालू कर के सोफे पर बैठ गया| तभी संध्या कोल्ड ड्रिंक ले कर आ गई और मुझे देने के लिए निचे झुक गई तभी मैंने जो देखा वो पहली बार इतने करीब से देखा था संध्या के चूची नाईटी से बाहर आ रहे थे| संध्या ने भी मुझे नोटिस किया और उसने थोड़ा भी टाइम बर्बाद नहीं किया| कोल्ड ड्रिंक बाजू में रखा और घर का मेन दरवाजा अन्दर से बंद किया और मेरे ऊपर आ कर बैठ गई और मुझे बाँहों में ले कर मेरे पुरे चेहरे पर किस करने लगी| तभी मुझे समझ में नहीं आ रहा था की मैं क्या करूँ मैं चुप चाप उधर ही बैठा रहा| तभी संध्या ने मुझे कहा की सिर्फ देख सकते हो कुछ कर नहीं सकते क्या प्लीज सिद्धार्थ मुझे चोदो मैं बहुत दिन की प्यासी हूँ|
ये सुनकर मेरे अन्दर एक गर्म लहर सी आ गई और मेरे अन्दर का शेर जाग गया मैंने भी उसे जोर से अपने बाँहों में पकड़ लिया और जोर जोर से उसे किस करने लगा| उसके होठ बहुत ज्यादा स्वीट थे मैं उसे बहुत देर तक किस करता रहा किस करके उसे बहुत खुश किया फिर मैंने उसे पूछा सिर्फ किस ही करना है या और भी कुछ करना है तभी उसने थोड़ा भी टाइम बर्बाद नहीं किया और मुझे बीएड रूम में ले कर चली गई| फिर बीएड रूम में जा कर मैं उसके ऊपर लेट गया और उसे फिर से किस करने लगा| उसकी पूरी बॉडी इतनी सॉफ्ट और मस्त लग रही थी उस वक्त मानो जन्नत की परी के ऊपर ही सोया हूँ मुझे ऐसा लग रहा था जिंदगी भर इसे अपने बाहों में लेकर बैठ जाऊ| फिर मैंने इसकी नाईटी ऊपर करके पूरी निकल दी और उसके पूरी बॉडी पर किस करने लगा| मैंने देखा की उसके चूत पूरी तरह शेव की हुई थी और लग रहा था की संध्या फर्स्ट टाइम सेक्स कर रही है इतनी टाइट क्गुत थी उसकी उस वक्त| फिर मैं उसके चूत को किस करने लगा| क्या बताऊ आपको क्या मजा आ रहा था| फिर मैं जोर जोर से उसकी चूत चाटने लगा और वो मेरा सर पकड़ के जोर से प्रेस कर रही थी अपने चूत पर और जोर जोर से आवाज निकाल रही थी आ आ आह आह कॉमन सिद्धार्थ आहह आह आह आह वो आवाजे सुन कर मई और जोर से किस करने लगा|
फिर ऊपर आ कर मैं उसके चूची को चूसने लगा क्या बताऊ आपको क्या चूची है वो पुरे वाइट और टाइट निप्पल उसे चूसने मैं बहुत मजा आ रहा था ऐसा लग रहा था की इसे मुह से निकालू ही नहीं| संध्या के चूची इतने बड़े थे की वो मेरे मुह मैं ठीक से बैठ भी नहीं रहे थे और वो सिर्फ आवाज ही निकल रही थी आ आह आह आऊ आऊ आह| फिर वो मेरे ऊपर आ गई और मुझे किस करने लगी सब बॉडी पर| फिर मैंने उसे अपना लंड मुहं में लेने को कहा वो भी जल्दी से आ गई और मेरी अंडरवियर निकल दी और मेरा लंड हाथ में ले कर बोलने लगी क्या मस्त लंड है तुम्हारा काश मेरे पति का लंड ऐसा होता|मैंने उसे लंड मुहं में लेने को कहा तो वो मेरे लंड को बहुत प्यार से चुसने लगी वो उसे बहुत प्यार से अन्दर बाहर कर रही थी क्या बताऊ आपको कितना मजा आ रहा था मुझे लग रहा था की मैं जन्नत में ही बैठा हु और ऐसा लग रहा था की ये ख़तम ही न हो| वो जैसे जैसे मेरा लंड चूस रही थी वैसे वैसे मेरा लंड और बड़ा हो रहा था| अब मेरा लंड फुल पॉवर में खड़ा हो चूका था और मैं फुल रेडी हो गया था संध्या की चूत में लंड डालने के लिए| मैंने संध्या को निचे लिटाया और ऊपर से मैं लंड उसके चूत में डालने लगा| जैसे की मैंने आपको बताया ऐसा लग रहा था की संध्या फर्स्ट टाइम सेक्स कर रही है इतनी टाइट उसकी चूत थी|
मेरा लंड में जोर से प्रेस कर के अन्दर दाल रहा था और वो जोर से आवाज निकाल रही थी इसलिए मैंने उसे किस करना चालू किया| फिर मैंने एक जोर से झटका मर के मेरा पूरा लंड उसके चूत के अन्दर दाल दिया संध्या ने जोर से आवाज निकाली आ आ आह आह फिर मैं धीरे धीरे मेरा लंड आगे पीछे करने लगा क्या बताऊ आपको कितना मजा आ रहा था| संध्या भी बहुत मजे ले कर आवाज निकल रही थी आ आह आह ऐसे ही मैंने २० मिनट उसे धीरे धीरे चोदा| उसका पानी भी निकल चूका था अब मैंने फिर स्पीड बढ़ा दी| संध्या ने बोला पानी अन्दर मत छोड़ो|फिर मैंने २| ३ ज़टके दिए और लंड बहार निकल कर उसकी बॉडी पर पानी निकाल दिया| और वैसे ही उसके बाजु में लेट गया वो भी बहुत खुश हो चुकी थी| हम वैसे ही लेते रहे फिर मैं अपने घर चला गया| फिर दुसरे दिन संध्या हमारे घर आ गई और मुझे फिर से डिश टीवी बनाने के लिए घर में बोल कर मुझे ऊपर ले गई| मैं भी तैयार हो कर ऊपर चला गया| दुसरे दिन तो पहले दिन से भी अच्छा निकला वो बोली हम दोनों बाथरूम मैं शावर लेते हुए सेक्स करेंगे मैं भी जल्दी से मान गया| हम दोनों ने एक दुसरे के कपड़े बहुत प्यार से निकल दिए और बाथरूम में चले गए| उधर भी मैंने बहुत हार्ड चुदाई की संध्या के साथ| संध्या मुझे प्यार से मुझे राजा बुला रही थी| फिर उस दिन मैंने संध्या के साथ ३ बार चुदाई की| वो फिर पति के साथ करने से मना करने लगी और मुझे रोज रोज बुलाने लगी| आज तक मैंने संध्या के साथ बहुत बार चुदाई की और जब घर मैं कोई नहीं होता तब कभी उसके घर तो कभी मेरे घर सेक्स करते है|
देवर भाभी की चुदाई : मेरा पहला सेक्स
देवर भाभी की चुदाई : मेरा पहला सेक्स
देवर भाभी की चुदाई की यह कहानी बात उस समय की है, जब मेरी शादी तय ही हुई थी. मेरी दूर की भाभी मेरे घर आई हुई थीं. भाभी दिखने में तो किसी हिन्दी फिल्म की नायिका से कम नहीं लगती थीं, मैं हमेशा से उन पर नज़र रखता था. वो भी मुझसे बिंदास हंसी मजाक करती रहती थीं.
कई बार मैं अकेले में उनको चोदने का सोच कर उनके घर गया हूँ, पर कभी हिम्मत ही नहीं हुई. हाँ मजाक और दारू पीने पिलाने की बातें ज़रूर कर लेता था. वो भी मुझसे मेरी गर्लफ्रेंड के बारे में पूछा करती थीं.
उनको चोदने के लिए बहुत सोचने के बाद भी बात मेरी नहीं जमी.
उनको चोदने के लिए बहुत सोचने के बाद भी बात मेरी नहीं जमी.
मगर एक दिन ऐसा आ ही गया. जब वो मेरे घर पर रुकने के लिए आईं. हम सब लोग देर रात तक बातें करते रहे और रात में जिसको जैसे नींद आती गई, वो सोता गया.
सभी एक ही कमरे में नीचे बिस्तर लगा कर सो रहे थे. भाभी मेरे बगल में ही बैठी थीं, मैं भी वहीं लेट गया. फिर भाभी भी मेरे बगल में कब सो गईं, पता ही नहीं चला. रात में मेरी नींद खुली तो मेरा पैर भाभी के पैरों पर चढ़ा हुआ था. अब क्या था… मेरा तो बुरा हाल हो रहा था. मेरे को तो बिन माँगे मेरी बरसों पुरानी चाहत मिल रही थी. मैं धीरे धीरे उनके पैरों पर पैर फेरने लगा, उनकी जाँघों तक पैर भी लाया, पर डर के मारे हालत भी खराब थी और मज़े के लिए डर को भी सह रहा था.
कुछ देर बाद भाभी सीधी हो गईं. मैंने पैर को हटा लिया, पर फिर जब नहीं रहा गया तो हाथ को हौले से उनकी जाँघों पर फेरने लगा. बस 5 मिनट बाद ही भाभी का हाथ मेरे हाथ पर आ गया था. पहले तो मैं डर गया, पर ये क्या… वो तो खुद मेरे हाथ को अपनी चुत तक ले गईं. उनके इस एक्शन से मेरे तो वारे न्यारे हो गए, देवर भाभी की चुदाई मुझे हकीकत लगाने लगी.
उन दिनों सर्दियों का समय था, तो सब गहरी नींद में सो रहे थे. एक दूसरे की गर्मी लेते हुए रज़ाईयों में घुसे थे. हमको भी ये मौका एक ही रज़ाई में होने के कारण मिल गया था.
उस रात तो बस मैं ऊपर ही ऊपर हाथ फेर पाया, भाभी के सेक्सी बदन का मजा लेता रहा. भाभी ने मेरे लंड की मुठ मारी. वाओ… क्या सनसनी हो रही थी… जब वो लंड के मुँह से नीचे तक हाथ ले जाती थीं तो पूरा शरीर सिहर उठता था. यह मेरा पहला अनुभव था… जब मैं किसी लड़की के हाथों अपने लंड की मुठ मरवा रहा था.
मैंने इस बीच भाभी के मम्मों को मसलता रहा और उनका ब्लाउज खोल कर दूध चूसता रहा. लेकिन चुत में लंड डालने की स्थिति इसलिए नहीं बन सकी क्योंकि सभी लोग सटे हुए सो रहे थे, जरा भी हल्ला या झटका लगने से चिल्लपों होती तो गेम बज जाता.
मैंने भी भाभी की चुत में उंगली डाल कर उनकी चुत को सहला कर मजा ले लिया. हल्ला के डर से चुम्मा-चाटी भी थोड़ी बहुत ही हो पाई.
दूसरे दिन हम दोनों एक दूसरे से चुपके चुपके ही नज़रें मिला पा रहे थे. मगर रात का मजा मुझे उनके साथ सेक्स की सीमा तक पहुँचा देता था और मैं सोच रहा था कि कब वो समय आएगा, जब मैं और भाभी अकेले मिलेंगे.
ऐसे ही दो दिन निकल गए, बस बीच बीच में मैं उनको टच ही कर पाया.
आख़िर वो समय आ गया, भाभी को वापस जाना था और उनको छोड़ने जाने के लिए मुझको बोला गया. उनका घर मेरे शहर से 50 किलोमीटर दूर था. मैंने दिन में कुछ काम होने के कारण शाम को छोड़ने जाने का बोला और सब मान गए क्योंकि में पहले भी कई बार ऐसे ही उनको छोड़ने जाता था.
शाम को मैं और भाभी मेरी कार से उनके घर के लिए चल दिए. शुरूआत में तो हम दोनों में कोई बात ही नहीं हो रही थी. फिर मैंने कुछ रोमांटिक गाने बजा कर इधर उधर की बात करके माहौल को हल्का किया.
हम दोनों में बात शुरू हुई तो धीरे से मैंने उस रात की बात को छेड़ा. भाभी उस टॉपिक पर कोई बात ही नहीं करना चाह रही थीं.
खैर… मैंने भी ज़्यादा कुछ ना बोल कर चुप रहने में ही भलाई समझी.
हम दोनों में बात शुरू हुई तो धीरे से मैंने उस रात की बात को छेड़ा. भाभी उस टॉपिक पर कोई बात ही नहीं करना चाह रही थीं.
खैर… मैंने भी ज़्यादा कुछ ना बोल कर चुप रहने में ही भलाई समझी.
हम लोग उनके घर पहुँच गए. भाई साहब तो टूर पर गए हुए थे तो घर में हम दोनों अकेले ही थे. पहुँच कर चाय पी फिर इधर उधर की बातें करते रहे.
भाभी बोलीं- तुम ड्राइव करके थक गए होगे, हाथ मुँह धोकर आराम कर लो.
भाभी बोलीं- तुम ड्राइव करके थक गए होगे, हाथ मुँह धोकर आराम कर लो.
मैंने भी ऐसा ही किया. हाथ मुँह धोकर आया फिर से एक एक कप चाय पी और रात ज़्यादा हो गई तो भाभी ने मेरे घर फोन करके बोल दिया कि राजेश अब कल सुबह आएगा क्योंकि रात हो गई है और अकेले में कार से परेशानी होगी.
मेरे घर वालों ने भी हाँ बोल दिया क्योंकि मैं कई बार ऐसे ही उनके यहाँ रुक जाता था.
मेरे घर वालों ने भी हाँ बोल दिया क्योंकि मैं कई बार ऐसे ही उनके यहाँ रुक जाता था.
मैंने भाभी को बोला- आज तो पीने का मन हो रहा है.
वो बोलीं- तो ले आओ.
मैंने उनसे पूछा कि क्या आप भी पियोगी?
भाभी बोलीं- मैं वोड्का पियूंगी.
वो बोलीं- तो ले आओ.
मैंने उनसे पूछा कि क्या आप भी पियोगी?
भाभी बोलीं- मैं वोड्का पियूंगी.
तो मैं उनकी एक्टिवा लेकर मार्केट से एप्पल फ्लेवर विद स्प्राइट वाली वोड्का ले आया. हम दोनों बेडरूम में बैठ कर वोड्का पीने लगे और भाभी ने डिनर भी यहीं पर लगा लिया था. दो दो पैग पीते ही हम दोनों पर शुरूर चढ़ गया.
मैंने जेब से सिगरेट का पैकेट निकाला और एक सिगरेट सुलगा ली. भाभी की तरफ धुंआ छोड़ते हुए उनको आँख मारी और कहा- आती क्या खंडाला?
बस भाभी ने एकदम से मेरे पास आकर मेरे सिगरेट निकाल कर खुद कश खींचा और धुंआ मेरे मुँह पर छोड़ते हुए मुझे किस करने लगीं. बस फिर क्या था हम दोनों एक दूसरे के होंठों का रसपान करने लगे. वोड्का से ज़्यादा मजा तो उनके होंठों को चूसने में आ रहा था.
इसके बाद मैं उनके गालों और गले को किस करता हुआ उनकी चूचियों की घाटी वाली लाइन पर पहुँच गया. भाभी सामने से खुलने वाली नाइटी पहने हुए थीं. मैं नाइटी के बटन खोल कर उनके मम्मों को हाथ डालकर निकाल कर चूसने की कोशिश करने लगा.
भाभी ने पैर पसारते हुए बोला- ऐसे क्यों खींच रहे हो… रूको जरा, खोल दूँ फिर मजे से चूसो.
उन्होंने अपनी नाइटी निकाल दी. ब्लैक कलर के अंडरगार्मेंट्स में उनका 34-30-36 की फिगर वाला नशीला शरीर बस देखते ही बन रहा था.
मैं एक हाथ से सिगरेट पी रहा था और दूसरे हाथ से लंड को सहलाते हुए उनके मदमस्त शरीर को निहार रहा था.
भाभी कामवासना से परिपूर्ण हो चुकी थी, वे जीभ को होंठों पर फेरते हुए अश्लीलता से अपने दूध मसल कर बोलीं- ऐसे क्या देख रहे हो राजा…!
मैंने कहा- जान इन दोनों कलमी आमों को मेरे लिए आज़ाद कर दो… इनको तो मसल मसल कर चूसना है.
भाभी बोलीं- अब कुछ काम तुम खुद भी कर लो मेरे राजा.
भाभी कामवासना से परिपूर्ण हो चुकी थी, वे जीभ को होंठों पर फेरते हुए अश्लीलता से अपने दूध मसल कर बोलीं- ऐसे क्या देख रहे हो राजा…!
मैंने कहा- जान इन दोनों कलमी आमों को मेरे लिए आज़ाद कर दो… इनको तो मसल मसल कर चूसना है.
भाभी बोलीं- अब कुछ काम तुम खुद भी कर लो मेरे राजा.
हाथ कंगन को आरसी क्या और पढ़े लिखे को फ़ारसी क्या… मैंने उनका इरादा और इशारा दोनों को समझा और तुरंत उनकी ब्रा के हुक को खोल कर दोनों रसीले आमों को बाहर निकाल कर उन पर ऐसे टूटा जैसे कि बरसों बाद चूसने वाले आम मिले हों. एक चूचे को मुँह में तो एक की जम कर मिसाई करने लगा.
भाभी- आह… राजा… धीरे मसलो… उम्म्ह… अहह… हय… याह… प्लीज़ धीरे करो!
वो सीत्कार करती ही रह गईं. उनकी आहों भरी मादक आवाज़ों से और भी रोमांच बढ़ता जा रहा था.
वो सीत्कार करती ही रह गईं. उनकी आहों भरी मादक आवाज़ों से और भी रोमांच बढ़ता जा रहा था.
जब मैंने भाभी के दूध को थोड़ा ढीला छोड़ा, तब कुछ उन में जान आई और बोलीं- कोई भला आमों को ऐसे भी चूसता है… ऐसे तो आम का रस कई जगह से निकल जाएगा.
मैंने बस मुस्कुरा कर उनकी बात का उत्तर दे दिया. अब तो उनसे भी रहा नहीं जा रहा था, इधर मेरे पैन्ट में मेरा लंड भी सलामी दे रहा था.
भाभी ने मेरे कपड़े निकालने चालू कर दिए. पहले शर्ट खींच दी, फिर बनियान उतार दी. मैंने वोड्का के एक एक पैग और बनाए. अपना गिलास मैंने भाभी के मम्मों पर डाल डाल कर वोड्का को चूसते हुए पिया. भाभी की तो जैसे जान ही निकलने को हो रही थी.
“राजेश आह… प्लीज़ अब आ जाओ अपना लंड निकालो ना.”
मैंने भी उनके लहजे में ही बोल दिया- अपना सामान खुद निकाल लो.
मैंने भी उनके लहजे में ही बोल दिया- अपना सामान खुद निकाल लो.
भाभी ने मेरा पैन्ट खोला फिर मेरे अंडरवियर को निकाल कर मेरे लंड को आज़ाद किया और लॉलीपॉप की तरह चूसना चालू कर दिया. मैंने थोड़ी देर उनके मुँह को चोदा और फिर मैं उनकी चुत को चाटने लगा. अब तो हम दोनों 69 की पोज़िशन में हो गए थे और मस्ती भरा ओरल सेक्स कर रहे थे.
मैंने मधु भाभी की चुत पर सीधे बोतल से ही वोड्का डाली और लपलप करके भाभी की चुत चाटने लगा. वोदका चूत पर डालने से भाभी को वहां थोड़ी जलन भी महसूस हुई लेकिन मैंने अपनी जीभ से चाट चाट कर भाभी की चूत की सारी जलन मिटा दी,
भाभी की चुत रो पड़ी और इसके बाद भाभी कामुकता से बोलीं- राजेश प्लीज़ अब मेरे ऊपर आ जाओ… अब नहीं रहा जाता.
मैंने कहा- मुझे भी कहाँ सब्र है भाभी, आज तो आप मुझे जन्नत की सैर करवा रही हो… मैं आपका ये अहसान कभी नहीं भूलूंगा.
भाभी बोलीं- यार भाभी नहीं… प्लीज़ मुझे नाम से बुलाओ.
मैंने कहा- ओके मधु डार्लिंग, आज से तुम मेरी जान हो.
मैंने कहा- मुझे भी कहाँ सब्र है भाभी, आज तो आप मुझे जन्नत की सैर करवा रही हो… मैं आपका ये अहसान कभी नहीं भूलूंगा.
भाभी बोलीं- यार भाभी नहीं… प्लीज़ मुझे नाम से बुलाओ.
मैंने कहा- ओके मधु डार्लिंग, आज से तुम मेरी जान हो.
मधु ने मुझे अपने ऊपर खींच लिया और अपने हाथ से ही मेरे लंड को पकड़ कर अपनी चुत के छेद पट टिका कर रखा और मुझे एक झटका मारने को कहा. मैंने अपने चूतड़ उछाल कर करारा सा धक्का मारा और भाभी ने मेरा लंड अपनी चूत में ले लिया. लंड चुत में जाते ही मुझे तो जन्नत का अहसास हुआ क्योंकि ये मेरा फर्स्ट टाइम था.
धीरे धीरे भाभी की चुत में लंड के अन्दर बाहर करने का खेल चालू हुआ और फिर भाभी ने अपनी गांड उठा उठा कर झटके मारने शुरू किये और उनके मुझे से निकल रही वासना से भारी बातों ने मुझे और जोश दिला दिया. भाभी बोल रही थी- और अंदर तक घुसा… अह… बहुत मजा आ रहा है. ठोक दे पूरा का पूरा लंड अपनी मधु की चूत में!
पूरा कमरा हम दोनों की जाँघों के टकराने की आवाज़ से गूँज रहा था.
पूरा कमरा हम दोनों की जाँघों के टकराने की आवाज़ से गूँज रहा था.
थोड़ी देर के बाद मधु भाभी बोलीं- मैं आ रही हूँ जान.
मैंने कहा- आ जाओ… मेरा भी बस होने ही वाला है.
मैंने कहा- आ जाओ… मेरा भी बस होने ही वाला है.
पहले मधु भाभी झड़ गईं और उन्होंने मुझे कस कर जकड़ लिया. मेरे झटके और तेज हो गए.
“मधु रानी अन्दर ही झड़ जाऊं या बाहर निकालूं?”
मधु भाभी बोलीं- देवर जी, अभी अन्दर ही झड़ जाओ… तुम्हारे गरम गर्म रस का सुख लेना है. अपने वीर्य से मेरी चुत को भर दो राजा…
मधु भाभी बोलीं- देवर जी, अभी अन्दर ही झड़ जाओ… तुम्हारे गरम गर्म रस का सुख लेना है. अपने वीर्य से मेरी चुत को भर दो राजा…
बस फिर क्या था… जोरदार झटकों के साथ मैं भी झड़ गया. कुछ देर ऐसे ही पड़े रहने के बाद हम दोनों देवर भाभी ने एक दूसरे को धन्यवाद दिया और उठ कर सफाई करके फिर से वोड्का के जाम लेने लगे फिर खाना खाया.
उस रात मैंने मधु भाभी को 3 बार चोदा साथ ही उनकी गांड भी मारी.
Friday, April 20, 2018
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